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बिहारः राजनीतिक दलों का सर्धवािक पसंदीदा राज्य, जानें 2020 में कितने दलों ने खड़े किए थे अपने प्रत्याशी

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 243 सीटों पर 212 राजनीतिक दलों ने खड़े किए थे. बिहार राजनीतिक दलों का सर्धवािक पसंदीदा राज्य है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 18, 2023 8:44 AM

शशिभूषण कुंवर, पटना

देश के चार राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. बिहार की तुलना में राजनीतिक दलों की रुची इन पांचों राज्यों में बहुत ही कम है. बिहार विधानसभा चुनाव राजनीतिक दलों के लिए सबसे पसंदीदा राज्य बना हुआ है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कुल 212 राजनीतिक दलों ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की और प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था. यहां विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं. राजनीतिक दलों की भागीदारी के मामले में देखा जाए, तो उत्तरप्रदेश सर्वाधिक उपजाऊ मैदान दिख रहा है. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कुल 286 राजनीतिक दलों ने भागीदारी की थी. भारत निर्वाचन आयोग द्वारा वर्ष 2017 के बाद संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों की भागीदारी तैयार की गयी है. इस सूची के अनुसार बिहार ऐसा राज्य है जहां पर 2020 के विधानसभा चुनाव में छह राष्ट्रीय दलों, चार राज्य स्तरीय दलों, सात दूसरे राज्य के क्षेत्रीय दलों और 195 पंजीकृत दलों ने भागीदारी की थी.

इसकी तुलना अगर 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों से की जाए, तो वहां पर सिर्फ 61 राजनीतिक दलों ने चुनावी भागीदारी की. इसमें छह राष्ट्रीय दल, चार दूसरे राज्यों के राजनीतिक दल, 51 पंजीकृत दल शामिल थे.

मध्यप्रदेश में संपन्न 2018 के विधानसभा चुनाव में 119 राजनीतिक दलों ने भागीदारी की थी. इसमें पांच राष्ट्रीय दलों, सात दूसरे राज्य के राजनीतिक दलों और 107 पंजीकृत दलों ने अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे थे.

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में सिर्फ 86 राजनीतिक दलों ने भागीदारी की थी जिसमें सभी छह राष्ट्रीय दल, सात दूसरे राज्यों के राजनीतिक दल और 73 पंजीकृत राजनीतिक दल शामिल थे.

तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2018 में 93 राजनीतिक दलों की भागीदारी रही जिसमें छह राष्ट्रीय दल, तीन राज्य स्तरीय दल, सात दूसरे प्रदेश के राजनीतिक दल और 77 पंजीकृत दल शामिल थे.

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में राजनीतिक सजगता की स्थिति यह है कि वहां पर किसी भी राज्यस्तरीय दल ने विधानसभा चुनाव में भाग ही नहीं लिया. इन तीनों राज्यों में दूसरे राज्यों के क्षेत्रीय दलों ने भागीदारी की पर वहां के किसी क्षेत्रीय दल ने अपने प्रतिनिधि नहीं उतारे.

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