Bihar Junior Doctor Strike: बिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से चरमरायी स्वास्थ्य व्यवस्था, सरकार ने दिया ‘नो वर्क नो पे’ का आदेश

Bihar Junior Doctor Strike: बिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल फिलहाल खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे. हड़ताल के तीसरे दिन शुक्रवार को पटना (Patna) के पीएमसीएच (PMCH) और एनएमसीएच (NMCH) सहित राज्य के अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 25, 2020 10:14 PM

Bihar Junior Doctor Strike: बिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल फिलहाल खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे. हड़ताल के तीसरे दिन शुक्रवार को पटना (Patna) के पीएमसीएच (PMCH) और एनएमसीएच (NMCH) सहित राज्य के अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. पटना में करीब एक दर्जन मरीजों के ऑपरेशन टल गये और कुछ मरीज पीएमसीएच से पलायन कर गये. इसके साथ ही इलाज सही नहीं होने से जहानाबाद की महिला मरीज की मौत हो गयी.

फिलहाल हालत ऐसी है कि ओपीडी में भी मरीजों को दिखाने में परेशानी हो रही है. क्रिसमस की छुट्टी के कारण शुक्रवार को ओपीडी के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ. पीएमसीएच की मुख्य इमरजेंसी में 30 फीसदी बेड खाली हो चुके हैं. हालांकि, टाटा इमरजेंसी में अब भी मरीज हैं और कई मरीजों का ट्रॉली ले जाने वाले रास्ते में लिटा कर इलाज किया जा रहा है.

इमरजेंसी से लेकर वार्ड में एक-दो डॉक्टर ही मौजूद हैं और परिजन अपने मरीज के इलाज के लिए दौड़ लगा रहे हैं. इसके साथ ही डॉक्टर के चैंबर के पास परिजनों की काफी भीड़ लगी हुई है. हड़ताल खत्म होने व ऑपरेशन होने के इंतजार में कई मरीज पीएमसीएच में ही कड़ाके की ठंड में रात गुजारने को मजबूर हैं.

हड़ताल लंबी खींच सकती है.

इधर, जूनियर डॉक्टर भी अपनी मांगों की पूर्ति को लेकर अड़े हैं और यह स्पष्ट कर दिया कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. इनके तेवर को देखते हुए फिलहाल यह संभावना जतायी जा रही है कि हड़ताल लंबी खींच सकती है.

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जूनियर डॉक्टरों पर होगी कार्रवाई

स्वास्थ्य विभाग ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर सख्त कदम उठाने का निर्देश मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को दिया है. विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर ने सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को आदेश दिया है कि वे इस मुद्दे पर अनुशासन समिति को बैठक बुलाकर निर्णय लें. पीजी के जिन छात्रों द्वारा कार्य बहिष्कार किया जा रहा है, उनके स्टाइपेंड का भुगतान नो वर्क नो पे के आधार पर किया जाये.

साथ ही किसी पीजी छात्र द्वारा ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर, इमरजेंसी सेवा को बाधित किया जाता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाये. अनुशासन समिति को निर्देश दिया गया है कि वह रोज ओपीडी में रोगियों की संख्या, ओपीडी के माध्यम से रोगियों के भर्ती किये जाने की संख्या, इमरजेंसी में देखे गये रोगियों की संख्या और कुल किये गये ऑपरेशनों की रिपोर्ट विभाग को उपलब्ध कराये.

Posted By: Utpal Kant

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