खगड़िया को प्राकृतिक आपदाओं से निबटने के लिए अबतक नहीं मिली राशि, 16 लाख लोगों की कैसे होगी सुरक्षा ?
मास्टर प्लान की स्वीकृति व राशि नहीं मिल पाने के कारण यह जिला आपदा की गिरफ्त से बाहर नहीं निकल पाया है. जानकारी के मुताबिक जिला-प्रशासन के द्वारा विभिन्न प्रकार की आपदा जैसे बाढ़, भूकंप, अगलगी, वज्रपात, सड़क दुर्घटना आदि के दुष्प्रभाव को कम करने की योजना बनाई गई है.
खगड़िया: प्राकृतिक व स्थानीय आपदा से त्रस्त खगड़िया जिले के लिए तैयार मास्टर प्लान की स्वीकृति व राशि नहीं मिल पाने के कारण यह जिला आपदा की गिरफ्त से बाहर नहीं निकल पाया है. जानकारी के मुताबिक जिला-प्रशासन के द्वारा विभिन्न प्रकार की आपदा जैसे बाढ़, भूकम्प, अगलगी, ब्रजपात, सड़क दुर्घटना आदि को दुष्प्रभाव को कम करने की योजना बनाई गई है. फरवरी महीने में राज्य आपदा प्रबंधन विभाग से राशि आवंटन की मांग की गई थी. तत्कालीन डीएम डॉ आलोक रंजन घोष ने बाढ़ सहित अन्य आपदाओं से निबटने को 12 प्रोजेक्ट प्रस्ताव राज्य स्तर पर भेजकर 42.69 करोड़ रुपये की मांग की थी.
एक बेहतरीन प्रोजेक्ट पर नहीं शुरु हो पाया काम
बताया जाता है कि राज्य आपदा न्यूनिकरण कोष से यह राशि जिले को मिलनी थी. इस राशि से जिले के करीब 16 लाख की आबादी को विभिन्न आपदाओं से बचाने या फिर सुरक्षा की दिशा में ठोस कार्रवाई शुरु होती. लेकिन डीएम के स्तर से भेजे प्रस्ताव की न तो स्वीकृति मिली है और न ही राशि. जिस कारण आपदा से निबटने तथा बचाव के लिए बनाई गई एक बेहतरीन प्रोजेक्ट पर काम शुरु नहीं हो पाया. बताया जाता है कि राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं आपदा प्रबंधन विभाग के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण जिले का भविष्य अधर में लटक गया है. सूत्र बताते हैं कि जिले के आपदा प्रभारी व तथा आपदा सलाहकार भी विभाग के अप्रैसल कमीटी में भाग ले चुके हैं. लेकिन डीएम के प्रस्ताव पर विभाग की स्वीकृति नहीं मिली है. अगर मिल जाती तो आपदा से जिले के लोगों को काफी राहत मिल जाती. गौरतलब है कि खगड़िया हमेशा से आपदा प्रभावित जिलों की सूची में शामिल रहा है. बाढ़ में हर साल एक लाख से अधिक आबादी प्रभावित हो जाती है. वज्रपात यानि ठनका गिरने से भी बरसात के मौसम में अक्सर लोगों की अकाल मृत्यु हो जाती है. सड़क दुर्घटना की बात करें तो यह अब यहां के लिए आम बात हो गई.
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क्या-क्या है योजना
जानकारी के मुताबिक राशि मिलने के बाद ठनका/ वज्रपात से बचाव के लिए सातों प्रखण्डों में दर्जनों विद्यालयों, सरकारी भवन तथा ऊंचे टावरों पर लाईटिनिंग एरेस्टर लगाने की योजना है. सातों प्रखण्डों दो सौ लाईटिनिंग एरेस्टर लगाए जाएंगे. जिसके लिए 1 करोड़ रुपये की मांग की गई है. बताया जाता है कि लाईटिनिंग एरेस्टर लग जाने के बाद इसके आस-पास के करीब दो से ढाई सौ मीटर का क्षेत्र ठनका/वज्रपात से पूरी तरह सुरक्षित हो जाएगा. गौरतलब है कि ठनका की चपेट में आने से प्रत्येक साल दर्जन भर से अधिक लोगों की अकाल मौत हो जाती है. वहीं मुंगेर रोड से महेशखूंट एनएच के आसपास ट्रामा सेंटर निर्माण की योजना है. ट्रामा सेंटर निर्माण पर तकरीबन 5 करोड़ रुपये खर्च होंगे. ट्रामा सेंटर निर्माण के लिए एक एकड़ जमीन की जरूरत है, जिसकी खोज की जा रही है. बता दें कि खगड़िया जिले औसतन प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाएं होती है. जिले में एक भी ट्रामा सेंटर नहीं होने से सड़क दुर्घटना में घायल मरीजों का ससमय/समुचित इलाज नहीं हो पता है. यही कारण है कि घायलों की मौत हो जाती है.
हाई लेवल रिसर्च सेंटर और कई तरह के सहायक बोट खरीदने की थी योजना
इसके अलावे मास्टर प्लान में सदर प्रखण्ड के रहीमपुर दक्षिणी तथा अलौली प्रखण्ड के आनंदपुर मारन पंचायत में हाई लेवल रिसर्च सेंटर का निर्माण शामिल है. राज्य आपदा प्रबंधन विभाग को डीएम ने प्रस्ताव भेजी है. इसपर दोनों जगहों पर रिसर्च सेंटर निर्माण में 12-12 करोड़ रुपये खर्च होंगे. हेलीपैड युक्त इन दोनों रिसर्च सेंटर पर सामान्य दिनों में ट्रेनिंग दिये जाएंगे, लेकिन बाढ़ के दिनों में इसकी उपयोगिता काफी बढ़ जाएगी. एक सेंटर पर 5 हजार बाढ़ प्रभावित लोग इमरजेंसी में शरण ले सकेंगे. डीएम द्वारा राज्य स्तर पर भेजे गए 12 प्रस्ताव में मेडिकल, किचन, रैसक्यू बोट खरीद/निर्माण भी शामिल है. जानकारी के मुताबिक 7-7 मेडिकल तथा किचन बोट की खरीद होगी. दो-दो बोट हाई लेवल रिसर्च सेंटर से टैग रहेंगे. जबकि शेष 5-5 बोट अंचलों को मिलेंगे.
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“हॉस्पिटल ऑन वैन” जैसी व्यवस्था की भी थी योजना
किचन बोट की बात करें तो इस वोट पर 5 हजार लोगों के भोजन की व्यवस्था रहेगी. जो बाढ़ के दौरान पीड़ितों के लिए भोजन पहुंचाएगी. जबकि मेडिकल बोट के जरीये बाढ़/आपदा में फंसे लोगों का इलाज होगा. मेडिकल बोट पर मेडिकल टीम तैनात रहेगी. बता दें कि 12-12 लाख रुपये प्रत्येक मेडिकल/कीचेन बोट पर खर्च होने के अनुमान हैं. अत्याधुनिक सुविधा से लैस पेट्रोलिंग के लिये भी होगी नाव की खरीद. पुलिसिंग/पेट्रोलिंग के लिए 1 करोड़ 5 लाख रुपये की लागत से 7 बोट क्रय किए जाएंगे. जो ड्रोन कैमरा के साथ-साथ कंप्यूटर आदि से लैस होगा. इसके अलावा 3.5 करोड़ की लागत से जिले के सातों अंचलों में एक-एक जागरूकता प्रशिक्षण केन्द्र खोलने की योजना है. यहां बाढ़ राहत- बचाव से संबंधित ट्रेनिंग दिये जाएंगे. सभी सेंटरों पर सामान्य के दिनों में ट्रेनिंग दी जाएगी. वहीं ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित जगहों पर “हॉस्पिटल ऑन वैन” यानि वैन में हॉस्पिटल जैसी व्यवस्था की भी योजना है. ताकि दुर्घटना के शिकार घायल का त्वरित इलाज किया जा सके.