कटिहार: सात साल की उम्र में कमाने गया बच्चा हो गया था लापता, 19 साल बाद आखिर कैसे लौटा घर, जानें पूरी कहानी…
करीब 19 वर्ष पूर्व लापता बेटा अपने माता-पिता को ढूंढ़ते हुए दिल्ली से चलकर आजमनगर दक्षिण टोला गांव में पहुंचा है, जहां क्षेत्र के लोगों का युवक को देखने के लिए भीड़ लग गयी. मां इदारा खातून ने बिछड़े बेटे को 19 वर्ष के बाद देखते ही उसे छाती से लगाकर फूट-फूट कर रोने लगी.
बिहार: कटिहार के आजमनगर दक्षिण टोला गांव में 19 साल के बाद एक मां को बिछड़ा हुआ बेटा मिल गया. आज से करीब 19 वर्ष पूर्व लापता बेटा अपने माता-पिता को ढूंढ़ते हुए दिल्ली से चलकर आजमनगर दक्षिण टोला गांव में पहुंचा है, जहां क्षेत्र के लोगों का युवक को देखने के लिए भीड़ लग गयी. मां इदारा खातून ने बिछड़े बेटे को 19 वर्ष के बाद देखते ही उसे छाती से लगाकर फूट-फूट कर रोते हुए कहा कि मेरे बुढ़ापे का सहारा 19 वर्ष बाद वापस आ गया. वह 7 वर्ष की उम्र में ही परिवार से अलग हो गया था.
बेटा खोने के गम में पिता कर चुके हैं आत्महत्या
मां और बेटा को रोता देख ग्रामीणों की आंखों में खुशी की आंसू छलकने लगी. युवक के मां ने बताया कि 7 वर्ष का था, तभी गरीबी के कारण उनके पिता ने कमाने के लिए दिल्ली भेजा था. उसके बाद किसी कारण से वह लापता हो गया था. उसके बाद परिजनों ने लगातार खोजबीन की, लेकिन कुछ भी पता नहीं चल पाया. इसके बाद परिजनों ने खोजना बंद कर दिया और फिर कुछ दिनों बाद पिता रेजा आलम गंभीर बीमारी से पीड़ित थे. बेटा खो देने के गम व बीमारी के कारण दुनिया को अलविदा कह कर आत्महत्या कर ली थी. इसके बाद युवक की मां इदारा खातून अपने एक बेटी व एक बेटा के सहारे मेहनत मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रही थीं.
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कलेक्टर से हो चूका है शाहिद
सात वर्ष की उम्र में लापता हुए कलेक्टर नामक बेटे की वापसी से मां व बहन को भाई को सहारा मिल गया. युवक से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि अपने घर से कमाने के लिए पहली बार दिल्ली गया. रास्ता भटकने के कारण मुझे दिल्ली पुलिस ने पकड़ लिया था. एक दिन मुझे अपने पास रखा और फिर चाइल्ड हेल्प लाइन के हवाले कर दिया. इसके बाद मेरी पढ़ाई लिखाई चाइल्डलाइन में करायी गयी. जहां मेरा नाम शाहिद रखा गया. 12वीं तक पढ़ाई की है और मेरी शादी आज से 5 वर्ष पूर्व नयी दिल्ली की सीमापुरी में हुई है. एक चार वर्षीय पुत्री भी है. मुझे अपना जिला याद नहीं रहने के कारण मैं वापस नहीं लौट सका था, लेकिन मुझे मेरा गांव का नाम और मां पिता एवं चाचा भाई-बहन आदि सहित कई अन्य लोगों के नाम मालूम थे. इस कारण आज मुझे मेरा खोया हुआ परिवार वापस मिल गया है. मां इदारा खातून ने बताया कि युवक मेरा ही पुत्र है. इसकी पहचान एक मां ने की है. इसका नाम कलेक्टर था. अब उसने अपना नाम शाहिद रखा है.