Bihar Labours in Tajikistan: ताजिकिस्तान में फंसे बिहार के मजदूर, भारत वापसी की लगा रहे गुहार
रोजी रोटी की तलाश में विदेश गये भारतीय मजदूर अक्सर वहां जाकर फंस जाते हैं. रोजगार देने का दावा करनेवाली एजेंसियां कई प्रकार के झूठे वायदे कर के मजदूरों को विदेश ले जाती है, फिर वहां मजदूरों को जब हकीकत का पता चलता है तो बहुत देर हो चुकी होती है.
सीवान. रोजी रोटी की तलाश में विदेश गये भारतीय मजदूर अक्सर वहां जाकर फंस जाते हैं. रोजगार देने का दावा करनेवाली एजेंसियां कई प्रकार के झूठे वायदे कर के मजदूरों को विदेश ले जाती है, फिर वहां मजदूरों को जब हकीकत का पता चलता है तो बहुत देर हो चुकी होती है. ताजा मामला ताजिकिस्तान का है. ताजिकिस्तान में दर्जन भर मजदूर कंपनी के झूठे दावों के कारण वहां फंसे है. फंसनेवाले मजदूरों में करीब आधा दर्जन मजदूर बिहार के हैं. मजदूरों ने केंद्र और राज्य सरकार से मदद की गुहार लगायी है.
खाने पीने की जिम्मेदारी वहां की कंपनी को उठानी थी
मजदूरों का कहना है कि विदेश भेजने वाली दिल्ली की परी इंटरप्राइजेज ने इन लोगों को टीजीएम कंपनी में काम करने के लिए ताजिकिस्तान भेजा था. दिल्ली की परी इंटरप्राइजेज ने मजदूरों के साथ जो एग्रीमेंट किया था उसके अनुसार ताजिकिस्तान में इन मजदूरों को 11 घंटे ड्यूटी करना था और इसके खाने पीने की जिम्मेदारी वहां की कंपनी को उठानी थी. लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ. मजदूरों का कहना है कि उनको रहने से लेकर खाने-पीने तक के लिए कुछ नहीं मिल रहा है.
11 घंटे के बजाय 14 घंटे कराया जा रहा है काम
मजदूरों का दावा है कि इन लोगों के वहां पहुंचने के कुछ दिनों बाद ही कंपनी मनमानी करने लगी. 11 घंटे के बजाय 14 घंटे काम कराया जा रहा है. मजदूरों को ओवरटाइम भी नहीं दिया जा रहा है. और तो और खाना के नाम पर केवल उबला हुआ आलू और चावल, साथ में पीने के लिए पहाड़ों से बहने वाला गंदा पानी दिया जाता है. जिससे कई मजदूर मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार पड़ गये हैं. मजदूरों को बात करने के लिए न तो सिम दिया गया है और न ही उन्हें परिजनों से बात करने दिया जा रहा है.
टीजीएम कंपनी के लिए भेजा गया था
स्थानीय मीडिया से बात करते हुए परिजनों ने कहा कि लाखों रुपये लेकर विदेश भेजने वाली दिल्ली की परी इंटरप्राइजेज ने वहां की टीजीएम कंपनी के लिए भेजा था. यह परी एंटरप्राइजेज ताजिकिस्तान की टीजीएम कंपनी को मजदूरों के हित में काम करने वाली बता कर एक महीने पहले भेजा गया था. रोजी रोटी के लिए ताजिकिस्तान गए दर्जनों मजदूर कंपनी की मनमानी के वजह से फंसे हुए है. वहां फंसे मजदूरों में सीवान जिले के हरदिया बंगरा गांव के रमाकांत कुशवाहा, रमेश कुशवाहा, ओरमा गांव के ओमप्रकाश, तेलियाबाग गांव के मंटू सिंह, नवादा गांव के मोतिम अंसारी, दरौली के मोरवा गांव के नंद जी, वियही गांव के सुनील कुमार और गोपालगंज के भोरे कल्याणपुर के हरिकेश यादव सहित कई मजदूर हैं.