पटना: कश्मीर घाटी में निशाना बनाकर हत्या करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में आतंकवादियों ने एक और घिनौनी वारदात को अंजाम दिया है. कश्मीर घाटी में एक बार फिर से बिहार के एक मजदूर की हत्या कर दी गई है. अपने लाल की मौत की सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया. बुजुर्ग माता-पिता से उनके बुढ़ापे का सहारा छिन गया. उनका रो-रो कर बुरा हाल है. बेटे की मौत के बाद उनके सामने जीवन-यापन की समस्या भी गहरा गई है. यह पहला मौका नहीं है, जब कश्मीर घाटी में प्रवासी मजदूर खासकर बिहार के मजदूर की हत्या की गई है. इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं.
बता दें कि घटना जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले की है. यहां गुरुवार को आतंकियों के ग्रेनेड हमले में एक प्रवासी मजदूर की मौत हो गयी, जबकि दो अन्य लोग घायल हो गये. यह जानकारी पुलिस ने दी है. घटना के बाद इलाके की घेराबंदी कर दी गयी है. जम्मू और कश्मीर पुलिस आतंकियों की तलाश में जुटी है. पुलिस ने बताया कि आतंकी हमले का शिकार मजदूर बिहार के रहने वाले हैं. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बताया कि आतंकी हमले में मारे गये मजदूर की पहचान बिहार के सकवा परसा निवासी मोहम्मद मुमताज के रूप में हुई है. वहीं, घायलों की पहचान बिहार के रामपुर निवासी मो. आरिफ और मो. मजबूल के रूप में हुई है. इनकी हालत स्थिर है. घटना की सूचना मिलने के बाद मृतक के परिजनों में कोहराम मच गया.
गौरतलब है कि साल की शुरुआत में आतंकियों ने गैर स्थानीय श्रमिकों पर हमले बढ़ा दिया थे, लेकिन ऐसे लक्षित हमलों में पिछले करीब दो महीने से कमी आयी थी. जम्मू-कश्मीर में यह आतंकी हमला आर्टिकल-370 हटने की वर्षगांठ से एक दिन पहले हुआ है. ये कोई पहली घटना नहीं है, जब बिहार के मजदूरों की आतंकियों ने कश्मीर में हत्या की ह. इससे पहले अक्टूबर 2021 में भी बिहार के तीन मजदूरों की हत्या कर दी गई थी. ये तीनों बिहार के अररिया जिला के रहने वाले थे. बीतें कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में हिंसक घटनाएं बढ़ गई है, आतंकी लगातार लोगों की टारगेट कर हत्या कर रहे हैं.
बिहार से हर साल लाखों की संख्या में मजदूर दूसरे राज्यों में काम करने जाते हैं. पिछले कुछ सालों में कई ऐसी घटनाएं हुई है, जिसमें बिहार के मजदूरों को हादसे का शिकार होना पड़ा हैं. बिहार से सैकड़ों किलोमीटर दूर तेलंगाना में एक कबाड़ के गोदाम में आग लगने से बिहार के 11 मजदूरों की मौत हो गई थी. ये मजदूर बिहार के सारण और कटिहार जिले से थे, जो वहां गोदाम में काम करते थे और उसी गोदाम के ऊपर बने कमरे में रहते थे. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में नाला खुदाई के दौरान एक स्कूल की दिवार गिरने से तीन बिहार के मजदूरों की मौत हो गई थी. इससे पहले फरवरी में पुणे के एक निर्माणाधीन मॅाल में लोहे की जाली गिरने से बिहार के पांच मजदूरों की जान चली गई थी.
बिहारी मजदूरों की जान जाने की लिस्ट बहुत लंबी है, कहीं ना कहीं हर दिन बिहारी मजदूर इस तरह के घटनाओं का शिकार होते रहते हैं. ऐसी हर घटनाओं के बाद लोग गम जताते है और सरकार मुआवजे का ऐलान कर देती है. लोग सोशल मीडिया पर शोक संदेश की बाढ़ ला देते है, लेकिन समय बीतने के साथ ही लोग मौत की वजह, पलायन और बेरोजगारी को भुल जाते है.