बिहार में जमीन रजिस्ट्री की प्रक्रिया को पारदर्शी व सहूलियत बनाने के लिए सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है. लोगों को बैंक में घंटों लाइन लगाकर रजिस्ट्री शुल्क बतौर चालान जमा करना पड़ता था, वह अब रजिस्ट्री ऑफिस में ही जमा हो जायेगा. नकदी के साथ-साथ अपने बैंक अकाउंट से ऑनलाइन व कार्ड के माध्यम से भी पेमेंट कर सकते हैं. को-ऑपरेटिव सोसाइटी को मिली जिम्मेदारी के बाद मुजफ्फरपुर रजिस्ट्री ऑफिस के अलावा जिले के चारों मुफस्सिल कार्यालय में इसकी शुरुआत कर दी गयी है.
जिला अवर निबंधक राकेश कुमार ने बताया कि ऑनलाइन पेमेंट के लिए बार कोड के अलावा स्वाइप मशीन लगायी गयी है. पहले पेमेंट वेरीफाई का झंझट रहता था. वह सब अब हाथों-हाथ होने के साथ कुछ मिनटों में रजिस्ट्री के दस्तावेज तैयार कराने के बाद जमीन रजिस्ट्री हो जा रही है. जब से यह व्यवस्था शुरू हुई है. बड़ी संख्या में लोग मॉडल डीड के माध्यम से दस्तावेज तैयार कर अपनी जमीन की खरीद-बिक्री कर रहे हैं.
पहले कोर्ट परिसर में फ्रैकिंग मशीन लगाकर ज्यूडिशियल स्टांप को प्रिंट कर बेची जा रही थी. लेकिन, अब रजिस्ट्री ऑफिस में इस सेवा की शुरुआत कर सरकार ने एक से एक हजार रुपये तक के नन ज्यूडिशियल स्टांप की खरीदारी करना आसान कर दिया है. रजिस्ट्री ऑफिस के काउंटर पर इस सेवा की शुरुआत होने से स्टांप विक्रेता लोगों को नन ज्यूडिशियल स्टांप देने में आनाकानी करते हैं. कृत्रिम किल्लत दिखाकर मनमाना रेट वसूलते हैं. ऐसे स्टांप विक्रेताओं पर अब लगाम लगेगा. दूसरी तरफ, कोर्ट परिसर में भी अगले सप्ताह से को-ऑपरेटिव सोसाइटी ही फ्रैकिंग मशीन के माध्यम से ज्यूडिशियल स्टांप प्रिंट कर बेचेगा. पहले सरकार से स्टॉक होल्डिंग कंपनी को इसकी जिम्मेदारी मिली हुई थी.
जिला अवर निबंधक राकेश कुमार ने बताया कि जब से को-ऑपरेटिव सोसाइटी ने रजिस्ट्री ऑफिस में काउंटर खोल इ-स्टांप से लेकर इ-चालान जमा करने की प्रक्रिया शुरू की है, तब से लोगों को जमीन की खरीद-बिक्री करने में काफी आसानी हो रही है. रजिस्ट्री प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आयी है. आगे भी बड़ी तेजी से बदलाव दिखेगा.