बिहार के निबंधन कार्यालयों में मई 2023 से प्रॉपर्टी दस्तावेजों की रजिस्ट्री के लिए क्रेता-विक्रेता के आधार नंबर सत्यापन की नयी व्यवस्था लागू हो सकती है. यूएडीआइए (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) से इसकी अनुमति मिलने के बाद सूबे के 38 जिलों में स्थित सभी 137 निबंधन कार्यालयों में एजेंसी के माध्यम से आधार सत्यापन उपकरणों के लगाने की प्रक्रिया चल रही है. विभाग ने एक जनवरी 2023 से ही इस नयी व्यवस्था को लागू करने का निर्णय लिया था, लेकिन तकनीकी प्रक्रियाओं के चलते फिलहाल चार महीने का विलंब हो चुका है.
दरअसल देश भर के रजिस्ट्री कार्यालयों में बड़े पैमाने पर गलत नाम-पते से प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री की शिकायतें मिलने के बाद केंद्र सरकार ने इसको लेकर निर्देश जारी किया है. इसके आलोक में बिहार सरकार ने जमीन, मकान सहित अन्य संपत्तियों की रजिस्ट्री करने से पहले उसे बेचने व खरीदने वालों से लिये जाने वाले आधार नंबर के सत्यापन करने का निर्णय लिया है. इसके तहत रजिस्ट्री के समय क्रेता-विक्रेता के ऊंगलियों व अंगूठे के निशान को स्कैन किया जायेगा. इससे यूआइडीएआइ के डाटाबेस से प्रॉपर्टी दस्तावेज में दिये गये डिटेल का मिलान संभव हो सकेगा और प्रॉपर्टी को लेकर होने वाले विवाद एवं बेनामी संपत्ति के ट्रांसफर पर रोक लगेगी.
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निबंधन से पहले मद्यनिषेध व उत्पाद कार्यालयों में पकड़े जाने वाले शराबियों के आधार सत्यापन की व्यवस्था लागू हो चुकी है. हालांकि इसे अभी तक सभी कार्यालयों में लागू नहीं किया जा सका है. पहले चरण में यह व्यवस्था पटना जिले के सदर, दानापुर व बाढ़ कार्यालय में लागू की गयी, जिसे धीरे-धीरे विस्तारित किया जा रहा है. एक अप्रैल 2022 के बाद से शराब पीने के आरोप में पकड़े गये तमाम लोगों का डाटाबेस उत्पाद विभाग के पास मौजूद है. आधार सत्यापन के माध्यम से दूसरी बार शराब पीने के आरोप पकड़े जाने वाले रिपीट ऑफेंडर्स की पहचान सुनिश्चित हो सकेगी और उनको सजा दिलायी जा सकेगी.