Bihar Land Survey: बिहार के औरंगाबाद जिले के विभिन्न प्रखंडों में भूमि सर्वेक्षण कार्य शुरू हो गया है. इसके लिए बारी-बारी से सभी पंचायतों में आम सभा आयोजित कर सर्वे की प्रक्रिया की जानकारी दी गयी है. इसके बावजूद अधिकतर रैयत बिहार भू-सर्वेक्षण के नियमों से अभी तक अनभिज्ञ हैं. अधिकारी बताते हैं कि सर्वे के दौरान रैयत को घबराने की जरूरत नहीं है. खतियानी रैयत को ब्रिटिश शासनकाल के दौरान के खतियान की छाया प्रति और मालगुजारी रसीद प्रस्तुत करना है. जिन किसानों ने किसी दूसरे से जमीन खरीद की है उनके लिए केवाला जरूरी है.
अंचल कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं किसान
गैरमजरुआ खास, खरात, गोड़ईती जागीर और खिजमती जागीर जोत- कोड़ करने वाले के लिए जमींदार द्वारा निर्गत किया गया रिटर्न प्रस्तुत करने की बात सामने आ रही है. सर्वे के दौरान किसान तरह-तरह की समस्या से जूझ रहे हैं. एक तरफ जमाबंदी ऑनलाइन के क्रम में खाता, प्लॉट और रकबा में भारी गड़बड़ी की गयी है. इसमें सुधार कराने के लिए किसान अंचल कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. वर्तमान में परिमार्जन से भी त्रुटि में वांछित सुधार नहीं हो रहा है. ऐसी स्थिति में बिचौलियों की चांदी है.
अब कैथी पढ़ने वालों की तलाश
ब्रिटिश हुकूमत के दौरान तैयार किया गया सर्वे खतियान, रिटर्न, जमींदारी रसीद, बंदोबस्त पेपर की भाषा कैथी है. वर्तमान में जिले में इक्के-दुक्के लोग कैथी हिंदी के जानकार रह गये हैं. वहीं जो रह गये हैं वे काफी वृद्ध हो गये हैं. कहीं कैथी जानने वाले वृद्ध हैं भी तो पढ़कर देवनागरी हिंदी में तैयार करने के लिए प्रति पेज 500 से लेकर 700 रुपये की मांग कर रहे हैं. लोगों के लिए मुंह मांगे रुपये देना मजबूरी हो गयी है. हालांकि वर्तमान समय के बहुत कम ही अधिकारी हैं, जो कैथी पढ़ने में सक्षम हैं.