बिहारशरीफ. बिहार के सबसे बड़े डेयरी प्लांट नालंदा डेयरी के पास अपना दूध नहीं है. दूध की क्वालिटी के मामले में नालंदा डेयरी की गिनती देश के गिने चुने डेयरियों में होती है. चार लाख लीटर दूध प्रोसेसिंग की क्षमता वाला नालंदा डेयरी दूध के लिए राज्य के दूसरे डेयरियों पर पूरी तरह आश्रित है. बिहार के अन्य डेयरियों में जब सर प्लस दूध होता है, तब वहां से दूध नालंदा डेयरी को भेजा जाता है. इसकी वजह से दूध आया तो काम हुआ नहीं तो बेकार बैठना पड़ता है.
नालंदा सहित आसपास के जिलों से दूध कलेक्शन कंफेड पटना द्वारा किया जाता है, जबकि नालंदा डेयरी होने के बावजूद उसे दूध कलेक्शन करने की अनुमति नहीं है. नालंदा, नवादा, शेखपुरा के जिले हैं. इन जिलों से दूध कलेक्शन करने का काम न होकर कंफेड पटना द्वारा किया जा रहा है. इन जिलों के किसानों से दूध कलेक्शन का कार्य स्थानीय स्तर पर नालंदा डेयरी करती है तो जहां किसानों को फायदा होता, वहीं नालंंदा डेयरी को भी दूध की आपूर्ति होती है. आसपास के जिलों के किसानों के लिए नालंदा डेयरी द्वारा विकास के कार्य भी किये जाते हैं.
फिल्हाल नालंदा डेयरी बरौनी डेयरी व हरनौत के मुढ़ारी से दूध आता है. बरौनी डेयरी में सरप्लस दूध होने पर ही यहां आता है. ऐसे में नालंदा डेयरी लगातार दूसरे डेयरियों की कृपा पर निर्भर रहता है कि कब वहां सरप्लस दूध होगा और वहां से दूध आएगा. इसकी वजह से नालंदा डेयरी का काम प्रभावित हो रहा है. नालंदा डेयरी में दूध से पाउडर बनाने, बटर, घी, आइसक्रीम आदि बनाने का काम होता है.
करीब 25 हजार लीटर दूध का पाउडर बनाने व 20 हजार लीटर आइसक्रीम बनाने की क्षमता है. इतने बड़े प्लांट के लिए स्वयं दूध खरीदने की अनुमति न होने से अक्सर कार्य प्रभावित होता है. इस प्लांट में दही, टेट्रा पैक दूध आदि तैयार किये जाते हैं. यहां से निर्मित टेट्रापैक दूध पूर्वोतर राज्यों को भेजा जाता है. पूर्वोतर के राज्यों में नालंदा डेयरी के टेट्रापैक दूध की जबरदस्त मांग है, लेकिन दूध की कमी की वजह से उसकी पूर्ति करना संभव नहीं हो पा रहा है. इस संबंध में डेयरी के कोई अधिकारी बता पाने में असमर्थ हैं. कंफेड से भी संपर्क करने की कोशिश की गयी, लेकिन फोन नहीं उठाया गया.