विधानसभा की समितियों के गठन का मामला : तेजस्वी ने अध्यक्ष से मांगी उन समितियों की सूची जिनके सभापतित्व के लिए देना है राजद विधायकों के नाम

विधानसभा में स्थापित परंपरा है कि पार्टियों को सचिवालय की तरफ से संसदीय समितियों का नाम भेज दिये जाते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 11, 2020 10:04 AM

पटना. राजद नेता एवं बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पूर्व स्थापित संसदीय परंपरा के आलोक में विधानसभा अध्यक्ष को औपचारिक पत्र लिखा है.

पत्र में तेजस्वी ने कहा है कि राजद को दी जाने वाली उन समितियों के नाम बताये जाएं जिनका सभापतित्व राजद को करना है, ताकि पार्टी की ओर से सभापतित्व के लिए विधानसभा सदस्यों के नाम आपके समक्ष भेजे जा सकें.

जानकारों के मुताबिक विधानसभा में स्थापित परंपरा है कि पार्टियों को सचिवालय की तरफ से संसदीय समितियों का नाम भेज दिये जाते हैं.

दो दिनों पूर्व ही बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने आरोप लगाया था कि विपक्ष विधानसभा की समितियों के लिए नाम नहीं दे रहा. उसके जवाब में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विधानसभा अध्यक्ष को परंपरा की याद दिलाई है.

तेजस्वी यादव ने पत्र में परंपरा की याद दिलाते हुए कहा है कि बिहार विधानसभा द्वारा स्थापित परंपरा है कि सभा सचिवालय द्वारा पार्टियों को संसदीय समितियों का नाम भेज दिया जाता है.

इसके बाद निर्वाचित सदस्यों की वरीयता, संसदीय अनुभव, भौगोलिक, सामाजिक तथा अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए सदस्यों का नाम समिति के अनुसार पार्टियों द्वारा विधान सभा अध्यक्ष को अनुशंसा की जाती रही है.

विधानसभा की समितियों का क्या है महत्व

विधानसभा में अलग-अलग कार्यों के लिए समिति बनाई जाती है. बिहार विधानसभा में इस वक्त कुल 27 विभिन्न प्रकार की समितियां हैं. जैसे – लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, आचार समिति, योजना समिति.

इनमें विधायकों की संख्या के आधार पर सदस्य और सभापति की नियुक्ति होती है. इन नियुक्तियों का अधिकार विधान सभा अध्यक्ष के पास होता है. हर बार नई विधानसभा के गठन के बाद इन समितियों का भी पुनर्गठन किया जाता है.

ऐसे तय होती है समिति में दलगत सदस्यों की संख्या

समितियों पर सत्ताधारी दल या गठबंधन के दलों का ही कब्ज़ा होता है. बिहार विधानसभा में ऐसी कुछ महत्वपूर्ण समितियां हैं – प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति, शून्यकाल समिति, प्राक्कलन समिति, नियम समिति, सरकारी उपक्रमों संबंधित समिति. लोक लेखा और आचार समितियों के सभापति आम तौर पर विपक्ष के नेता होते हैं.

Posted by Ashish Jha

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