बिहार: आपके पोखर में भी छिपा हो सकता है मगरमच्छ, इस इलाके में मछली खाने छिपकर बना रहा ठिकाना..
बिहार के चंपारण में इन दिनों मगरमच्छ बड़ी तादाद में सामने आ रहे हैं. अब इन मगरमच्छों ने लोगों के पोखर में घुसना शुरू कर दिया है. जहां घुसकर ये मछलियों को शिकार बनाते हैं. बगहा में ऐसे ही मामले सामने आए हैं. जानिए..
Bihar News: बिहार में इन दिनों बारिश की वजह से नदियों का जलस्तर बढ़ा है. वहीं मगरमच्छ आए दिन रिहाइशी इलाकों में प्रवेश कर रहे हैं. चंपारण में ये घटना अधिक देखी जा रही है. आए दिन लोग मगरमच्छ अपने आसपास देख रहे हैं और वन विभाग की मदद से इसका रेस्क्यू किया जा रहा है. हरनाटांड़ प्रखंड बगहा दो के सुभाष नगर स्थित एक पोखर से एक मगरमच्छ को मछुआरों द्वारा निकाला गया. यहां मगरमच्छ लोगों के प्राइवेट पोखरा में घुस जा रहे हैं और अंदर मछलियों को अपना निवाला बना रहे हैं. एक के बाद एक करके ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं. मगरमच्छ कहीं 15 दिनों से तो कहीं 3 महीने तक पोखर में डेरा डालकर बैठा हुआ मिल रहा है.
प्राइवेट पोखर में घुसकर मछली खा गया मगरमच्छ
मिली जानकारी के अनुसार सुभाष नगर निवासी छेदीलाल प्रसाद के निजी पोखरा में लगभग 15 दिनों से एक मगरमच्छ घुस गया था, जो लाखों रुपये की मछलियों को खाया गया है. पोखरा स्वामी द्वारा एक सप्ताह पूर्व निजी खर्चे पर मछुआरों से मगरमच्छ को निकालने का प्रयास किया गया था. लेकिन मगरमच्छ पकड़ से बाहर रहा और पोखरा स्वामी को 3000 की आर्थिक नुकसान उठानी पड़ी थी. वहीं दूसरा प्रयास रविवार को किया गया. जिसमें मगरमच्छ मछुआरों के जाल में फंस गया और उसे सुरक्षित पोखरा से बाहर निकल गया. किसान छेदीलाल प्रसाद ने बताया कि पकड़े गए मगरमच्छ को वन विभाग को सुपुर्द कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि बड़ी विडंबना है कि जंगली जानवर रिहायशी क्षेत्र में घुसकर किसानों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं और वन विभाग मूकदर्शक बन तमाशा देख रहा है. सबसे बदतर स्थिति तो यह है कि निजी खर्चे पर पोखरा या अन्य जगहों से मगरमच्छों को किसानों द्वारा निकलवाया जा रहा है और आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है.
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तीन महीने से छिपकर बैठा रहा मगरमच्छ
वहीं दूसरी तरफ लौकरिया निवासी एक किसान के पोखरा में करीब 15 दिनों से डेरा जमाए एक मगरमच्छ ने तीन लाख रुपए से अधिक का नुकसान पहुंचाया है. पीड़ित किसान धनंजय सिंह ने बताया कि पिछले तीन माह से उनके पोखर में मगरमच्छ घुसा हुआ था तथा मछलियों को अपना निवाला बना रहा था. इस दौरान वे कई बार वन कर्मियों को सूचना दिये. मगर उनके द्वारा मगरमच्छ को नहीं निकाला गया. थक हारकर उन्होंने निजी खर्चे से मछुआरों को बुलाया जिनके द्वारा जाल डालकर मगरमच्छ को पकड़ा गया. हद तो तब हो गई जब मगरमच्छ के निकालने की सूचना के बाद भी 4 घंटे तक वन विभाग से उसको कोई लेने नहीं आया.
चंपारण में मगरमच्छ का खौफ
गौरतलब है कि चंपारण में मगरमच्छ लोगों के लिए दहशत का विषय बना हुआ है. आए दिन मगरमच्छ रिहाइशी इलाकों में प्रवेश कर रहा है. शिकार की तलाश में मगरमच्छ इधर-उधर भटक रहे हैं. वहीं कई बार स्थानीय लोगों के ऊपर जानलेवा हमला भी किया गया है. कहीं खेत में मगरमच्छ ने किसान पर हमला किया है तो कहीं शौच के लिए गयी महिला को शिकार बनाने की कोशिश की और जानलेवा हमला करके जख्मी कर दिया. ऐसे कई मामले सामने आए जब मछली पकड़ने के लिए लगाए गए जाल में मगरमच्छ आकर फंस गया. लोगों ने मगरमच्छ का रेस्क्यू किया और वन विभाग की टीम ने उसे नदी में छोड़ दिया.
ट्रेन से कटकर हो रही मगरमच्छों की मौत
उधर नरकटियागंज-गोरखपुर रेलखंड पर बगहा-वाल्मीकिनगर रोड रेलवे के पास रेल लाइन पर ट्रेन से कटकर एक मगरमच्छ की मौत हो गयी. यह पिछले दिनों मंगलपुर औसानी हाॅल्ट के पास हुई. जिसके बाद मगरमच्छ के कटने की सूचना रेलवे कर्मचारी द्वारा बगहा वन प्रक्षेत्र कार्यालय को दी गयी. सूचना को गंभीरता से लेते हुए वन विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुंचकर मगरमच्छ के कटे हुए भाग को बरामद कर जांच पड़ताल की गयी. बता दें कि तीन माह के अंदर पांच मगरमच्छों की ट्रेन से कटकर मौत हो गयी है. जिसमें पांच जुलाई 2023 की रात गोरखपुर-नरकटियागंज रेलखंड पर वाल्मीकिनगर रोड रेलवे स्टेशन व बगहा स्टेशन के बीच मंगलपुर गुमटी संख्या-54 के समीप ट्रेन की चपेट आने से एक मगरमच्छ की कट कर मौत हो गयी थी. वही 18 सितंबर 2023 को गोरखपुर व नरकटियागंज रेलखंड पर बगहा-वाल्मीकिनगर रोड रेलवे स्टेशन के बीच मंगलपुर औसानी हाॅल्ट के समीप ट्रेन की चपेट आ जाने से दो मगरमच्छ की कटकर मौत हो गयी थी. जबकि गुरुवार को भी अज्ञात ट्रेन से कटकर दो मगरमच्छ की मौत हो गयी है.