बिहार: सीट शेयरिंग में RJD की बल्ले-बल्ले, कांग्रेस अपनी डिमांड पूरी करवाकर भी क्याें हुई निराश, समझिए..

बिहार में महागठबंधन ने सीटों का बंटवारा कर लिया. राजद को इसमें फायदा हुआ तो कांग्रेस को निराश होना पड़ा. जानिए क्यों..

By ThakurShaktilochan Sandilya | March 30, 2024 10:31 AM

लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में अब महागठबंधन भी ताल ठोक कर खड़ा हो गया है. राजद (RJD) ने इस बार अपने बदले हुए सहयोगियों के साथ 26 सीटों से चुनाव लड़ने का एलान किया है, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में वह केवल 19 सीटों से चुनाव लड़ा था. राजद ने रणनीतिक तौर पर अपने सहयोगियों को कुछ सीटें दी हैं, तो कुछ सीटों को अपने लिए हासिल किया है. जहां तक उसकी मुख्य सहयोगी पार्टी कांग्रेस का सवाल है, उसे कुछ सीटों की अदला-बदली के बाद पिछली बार की भांति नौ सीटें हासिल हुई हैं. उसे अंकगणित के हिसाब से न बहुत जादा न नफा हआ है न नुकसान.

राजद ने ली रणनीतिक बढ़त, सीमांचल और कोसी की दो अहम सीटें भी मिली

राजद ने सीट आवंटन में एक तरह से रणनीतिक बढ़त हासिल की है. उदाहरण के लिए सीमांचल और कोसी की दो अहम सीटें पूर्णिया और सुपौल कांग्रेस से हासिल कर ली है. इसके बदले राजद ने कांग्रेस को अपनी महाराजगंज और भागलपुर की सीटें दी हैं. इस क्षेत्र की दो सीटें अररिया और मधेपुरा राजद के पास पहले से ही हैं. राजद ने मुंगेर सीट कांग्रेस से हासिल की है. राजद ने बेगूसराय अपने सहयोगी सीपीआइ के लिए छोड़ दी है. 2019 में यहां से राजद भी चुनाव मैदान में था.

पुराने सहयोगियों की सीटें ऐसे बंटी..

राजद ने अपने पुराने सहयोगी दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्यूलर) के खाते की गया और औरंगाबाद पर इस बार अपना प्रत्याशी उतारा है. जहां तक भाकपा माले का सवाल है, नालंदा सीट उसने बेमन से स्वीकार कर ली है. इस सीट पर पहले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा लड़ा था. राजद पूर्वी चंपारण, जमुई और उजियारपुर से इस बार चुनाव लड़ेगा, जबकि पश्चिमी चंपारण सीट कांग्रेस के खाते में आयी है. पिछले चुनावों में यह सीटें उसके पुराने सहयोगी दलों के पास थीं. पिछले लोकसभा चुनाव में राजद के सहयोगी दल विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी ) के खाते की खगड़िया सीट इस बार सीपीएम , मुजफ्फरपुर सीट कांग्रेस और मधुबनी सीट राजद के खाते में गयी हैं.

छह सुरक्षित सीटों में चार पर लड़ेगा राजद

इस बार के लोकसभा चुनाव में राज्य की छह सुरक्षित सीटों में से चार गया, जमुई, गोपालगंज और हाजीपुर से राजद चुनाव में उतरेगा, जबकि कांग्रेस समस्तीपुर और सासाराम सीट पर अपने प्रत्याशी उतारेगी.

कांग्रेस को सीटों की संख्या मिली, पसंद की सीटें नहीं

महागठबंधन में कांग्रेस को संतुष्ट करने के लिए उतनी सीटें दी गयीं, जिसको लेकर पार्टी जिद कर रही थी. राजद ने कांग्रेस को नौ सीटें देकर संतुष्ट कर दिया. सीटें भी सुविधा के अनुसार बांटी गयी हैं. इधर, कांग्रेस के नेताओं में इस बात को लेकर चर्चा है कि पार्टी को वे सभी सीटें नहीं मिलीं, जो उनके नेताओं की मांग थी. कांग्रेस ने सीटों को लेकर जिलों से फीडबैक भी लिया था और अपने नेताओं को संभावित सीटों पर तैयारी करने का इशारा भी किया था. अब जो सीटें मिली हैं, उन पर वैसे प्रत्याशियों को निराशा हाथ लगी है. पार्टी के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस अपने लिए औरंगाबाद, बेगूसराय, वाल्मीकिनगर, सुपौल, पूर्णिया, नवादा, बक्सर व मधुबनी जैसी सीटों की मांग कर रही थी. कांग्रेस की मांग का परवाह किये बगैर राजद ने वैसी सभी सीटों पर अपने प्रत्याशियों को सिंबल देकर चुनावी तैयारी के लिए सीटों के बंटवारे के पहले ही भेज दिया था.

कांग्रेस नेताओं को अंत तक नहीं था ये मालूम..

इधर, कांग्रेस के नेताओं को शुक्रवार तक आधिकारिक घोषणा होने से पहले यह भी मालूम नहीं था कि उनके हिस्से में कौन सीट आयेगी. कांग्रेस को जो नौ लोकसभा सीटें प्राप्त हुई हैं, उनमें छह सीटें, तो पहले से ही उसके पास थीं. ये सीटें किशनगंज, कटिहार, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, पटना साहिब और सासाराम हैं. सासाराम से पूर्व लोकसभा स्पीकर व पार्टी की नेता मीरा कुमार ने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं.

कन्हैया कुमार का भी पत्ता कटा..

इधर, औरंगाबाद सीट निखिल कुमार के मांगने के बाद भी नहीं दी गयी. बेगूसराय सीट से कन्हैया कुमार का पत्ता काट दिया गया, तो पूर्णिया सीट से पप्पू यादव को मिलने वाला अवसर ही समाप्त कर दिया गया. पटना साहिब सीट पर अभी तक कांग्रेस का कोई प्रत्याशी पिछले तीन लोकसभा चुनावों में जीत दिलाने में असफल रहा है. पहले फेज में कांग्रेस के हिस्से एक भी सीट नहीं मिली, जबकि दूसरे चरण की पांच सीटों में कांग्रेस को किशनगंज, कटिहार और भागलपुर सीट प्राप्त हो गयी है.

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