बिहार: मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा को फिर से मिला राष्ट्रीय दर्जा, मछली समेत जलीय फसलों पर भी होगा अनुसंधान

अब मखाना के साथ मछली व जलीय फसलों पर भी इस केंद्र में अनुसंधान होगा. अब फिर से यह केंद्र राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र के नाम से जाना जायेगा. इसे लेकर कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने आदेश जारी कर दिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 15, 2023 11:55 PM
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दरभंगा: मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा को फिर से नेशनल रिसर्च सेंटर का दर्जा मिल गया है. साथ ही केंद्र के अनुसंधान के क्षेत्र में भी विस्तार कर दिया गया है. अब मखाना के साथ मछली व जलीय फसलों पर भी इस केंद्र में अनुसंधान होगा. अब फिर से यह केंद्र राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र के नाम से जाना जायेगा. इसे लेकर कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने आदेश जारी कर दिया है. इससे क्षेत्र वासियों में हर्ष का माहौल है.

2005 में छिन गया था नेशनल स्टेटस

राष्ट्रीय मखाना अनुंसधान केंद्र की स्थापना यहां 2002 में की गयी थी. स्थापना के तीन साल बाद ही 2005 में इसका नेशनल स्टेटस छीन लिया गया था. इसे पटना स्थित संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र के रूप में संचालित किया जाने लगा था. इस कारण इसका दायरा सिमट गया था. अनुसंधान समेत अन्य किसी भी कार्य के लिए केंद्र को पटना से अनुमति लेनी पड़ती थी. अब यह केंद्र सीधे केंद्र के नियंत्रण में संचालित होगा. इसका अपना बजट होगा. यह केंद्र अब सीधे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, दिल्ली के कृषि अभियांत्रिकी प्रभाग से संचालित होगा.

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अनुसंधान केंद्र के दायरे में अब होगा काफी विस्तार

जारी आदेश के अनुसार अब इस केंद्र के दायरे में काफी विस्तार होगा. मखाना के साथ-साथ मछली एवं अन्य जलीय फसलों पर वैज्ञानिक स्वतंत्र रूप से रिसर्च कर सकेंगे. नये आदेश के बाद केंद्र में वैज्ञानिकों व टेक्नीशियनों की संख्या बढ़ेगी. भवन के साथ ही अन्य मूलभूत व्यवस्था में विस्तार किया जायेगा. मखाना अनुसंधान की ढ़ांचागत स्थिति में भी बेहतर बदलाव की बात कही जा रही है. मिथिला के कृषि क्षेत्र में इसका सकारात्मक असर होगा. मखाना, मछली व स्थानीय जलीय फसलों के क्षेत्र में नये अनुसंधान के द्वार खुलेंगे.

केंद्र निदेशक बोले बहुत बड़ी खुशखबरी

इस मौके पर मखाना अनुसंधान केंद्र निदेशक डॉ मनोज कुमार ने हर्ष प्रकट करते हुए कहा कि यहां के लोगों के लिए या बहुत बड़ी खुशखबरी है. स्थानीय फसलों को राष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान मिलेगी. अनुसंधान केंद्र के विकास का नया द्वार खुलेगा.

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