पटना. मखाना को जीआइ टैग जल्द मिलने जा रहा है. सेंट्रल कंसल्टेटिंग ग्रुप के साथ पटना में आयोजित बैठक में सभी बाधा दूर कर ली गयी है. जीआइ टैगिंग की केवल औपचारिक घोषणा बाकी है. अब मखाना को ‘ बिहार का मखाना ’ के रूप में पूरी दुनिया में पहचान मिल जायेगी.
जीआइ टैग पाने वाला मखाना राज्य का पांचवा कृषि उत्पाद होगा. शाही लीची, जर्दालु आम, मगही पान और कतरनी चावल को जीआइ टैग मिल चुका है. कोविड में मखाना की मांग बढ़ी है. यह इम्युनिटी बढ़ाने में बड़ा मददगार है.
जीआइ टैग के लिए मिथिलांचल मखाना उत्पादक समूह ने आवेदन किया था. कृषि विभाग इसके लिए पूरी जी- जान से लगा हुआ था. औपचारिकता और गुणवत्ता आदि का परीक्षण करने के लिए दिल्ली से आये कंसल्टेटिंग समूह ने मिथिलांचल मखाना उत्पादक समूह द्वारा किये दावे को परखा. मखाना का बिहार ही उत्पादक है, इसका ऐतिहासिक प्रमाण भी दिये गये. सूत्रों के अनुसार सेंट्रल कंसल्टेटिंग ग्रुप संतुष्ट होकर लौटा है.
मखाना उत्पादन के लिए सरकार ने उच्च गुणवत्ता वाला बीज, तकनीक आधारित प्रोसेसिंग और मखाना मार्केट के विकास के साथ मखाने की खेती और उससे जुड़े किसानों के विकास की तैयारी की है. मखाना विकास योजना के तहत इस वित्तीय वर्ष में चार करोड़ उनचास लाख सतहत्तर हजार तीन सौ बीस रुपये खर्च किये जायेंगे. योजना में एससी- एसटी वर्ग का विशेष ख्याल रखा गया है.
राज्य में जलीय उद्यानिक फसल में आने वाले मखाना की खेती दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, सुपौल, अररिया, किशनगंज आदि जिलों में की जा रही है. विश्व में कुल मखाना उत्पादन में 90 फीसदी हिस्सेदारी बिहार की है.
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– 6000 टन होता है उत्पादन
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– 0.5 प्रतिशत मिनरल
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– 362 किलो कैलोरी प्रति सौ ग्राम
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– 76.9 प्रतिशत कार्बोहाइडेडवर्जन
कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि मखाना की खेती के विकास के लिए सरकार हर संभव कोशिश कर रही है. तकनीक से लेकर संसाधन बढ़ाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं.
Posted by Ashish Jha