बिहार में हाल के दिनों में ड्राइविंग लाइसेंस (Driving Licence) बनाने से लेकर डीटीओ ऑफिस में कई फर्जीवाड़े के मामले सामने आए हैं. लगभग सभी, डीटीओ ऑफिस के बाहर दलालों का जमावड़ा लगा रहता है. मगर, अब मुजफ्फरपुर में ऐसा नहीं होगा. बताया जा रहा है कि परिवहन विभाग का अधिकांश काम ऑनलाइन हो चुका है, लेकिन अब भी ड्राइविंग लाइसेंस व पुराने गाड़ी के ऑनरबुक कार्ड में परिवर्तित नहीं हुआ है. परिवहन मुख्यालय से जिला कार्यालय को सभी पेपर ऑनलाइन करने का निर्देश दिया गया है, ताकि कंप्यूटर के एक क्लिक पर पूरा रिकॉर्ड देखा जा सके.
अभी प्रतिदिन डीटीओ ऑफिस में डेढ़ से दो दर्जन पुराने ड्राइविंग लाइसेंस रिन्युअल कराने के लिए आते हैं, ये सभी ड्राइविंग लाइसेंस स्मार्ट कार्ड की जगह बुक में है. उसे रिन्युअल करने के लिए चार स्तर पर जांच होती है. पहले आवेदक फॉर्म भर कर आवेदन देते हैं. इसके बाद उसे जांच के लिए रिकॉर्ड रूम भेजा जाता है. वेरिफिकेशन के बाद उस पर डीटीओ का हस्ताक्षर होता है. फिर फॉर्म की ऑनलाइन इंट्री ऑफिस में की जाती है. इसके बाद लाइसेंस धारक को फोन नंबर पर कॉल या एसएमएस से सूचना मिलती है. इसके बाद वह वेरीफाइड फॉर्म को लेकर बाहर साइबर कैफे से चालान कटाते हैं और अपना आधार, डीएल, फोटो सिग्नेचर अपलोड करते हैं. इसके बाद चालान के साथ वह पेपर डीटीओ ऑफिस में जमा होता है. फिर उस लाइसेंस को स्मार्ट कार्ड में प्रिंट कर उसे बाइपोस्ट घर भेजा जाता है.
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कार्ड वाले लाइसेंस के रिन्युअल में केवल एक चालान कटा कर उसे डीटीओ ऑफिस में जमा करना होता है. इसी तरह पुरानी गाड़ी के पेपर में उसका कागजी व भौतिक सत्यापन कर उसकी पूरी इंट्री कर आगे की कार्रवाई की जाती है. डीटीओ सुशील कुमार ने बताया कि सभी काम ऑनलाइन हो रहे हैं, कुछ पुराने कागज ऑफलाइन हैं, जिसे अब ऑनलाइन किया जायेगा. सभी कर्मियों को निर्देश दिया गया है कि जो भी पुराने ऑफलाइन पेपर आते हैं, उसमें वाहन स्वामी को सूचना देते हुए उसका कार्ड कन्वर्जन का चालान कटाने को कहें. अब सभी पेपर पूरी तरह ऑनलाइन होंगे.