Bihar के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल में बाघ पिछले 21 दिन से अलग-अलग स्थानों पर भटक रहा है. विभिन्न जगहों पर भ्रमण कर जंगली व पालतू जीवों को अपना आहार बना रहा है. बाघ हर दिन अपना लोकेशन बदलकर डेरा डाले है. लेकिन इसे काबू करने में लगे वन कर्मियों को अब तक सफलता हाथ नहीं लगा है. इस कड़ी में रविवार को बाघ प्रखंड क्षेत्र के गुदगुदी पंचायत के गिरी टोला के निकट देखा गया है. मिली जानकारी के मुताबिक बाघ को बीती रात मसान नदी में पानी पीते भी ग्रामीणों ने देखा है. बाघ के गांव के निकट आने से ग्रामीण खौफजदा है. वन विभाग की रेस्क्यू टीम इस जानवर पर नजर लगाये है. जंगल से सटे इस लोकेशन पर विभागीय टीम जाल समेत अन्य उपकरण लगाकर अपने काबू में करने की कोशिश में लगी हुई है.
बाघ ना तो वन कर्मी के पकड़ में आ रहा है और ना ही जंगल के अंदर जा रहा है. वन विभाग बाघ को पकड़ने उसे फिर जंगल के अंदर भेजने का प्रयास कर रही है. लेकिन लगातार प्रयास के बावजूद बाघ अंदर नहीं जा रहा है. विशेषज्ञों की माने तो बाघ जिस क्षेत्र में अपना टेरिटरी बनाया है उस क्षेत्र के अंदर कोई बड़ा बाघ है. जिसकी डर की वजह से वह अंदर नहीं जा रहा है. इधर एक्सपर्ट की टीम बाघ का रेस्क्यू करना चाह रही है या फिर वॉच किया जा रहा है कि वह बीच जंगल में चला जाए. ताकि लोग सुरक्षित हो सके.
टाइगर रिजर्व के सीमा से सटे गिरी टोला के समीप बाघ के डेरा डालने से वहां के ग्रामीणों में दहशत का माहौल कायम हो गया है. बीते शनिवार को गुदगुदी पंचायत के बलुअहवा गांव स्थित एक ग्रामीण के बथान में घुसकर बछड़े को अपना शिकार बनाया था. पर अब अगले दिन रविवार को बाघ अपना लोकेशन बदलते हुए गिरी टोला में बसेरा डाला है. जिससे आम ग्रामीणों में भय का माहौल व्याप्त है. लोग सरेह में पशु चारे के लिए जाना उचित भी नहीं समझ रहे हैं. पंचायत के मुखिया प्रमोद ठाकुर ने बताया कि बाघ बीते दो दिन से पंचायत क्षेत्र में ही डेरा डाले है. फलस्वरूप लोगों को आवागमन करने में भी परेशानी हो रही है. इस बाबत वीटीआर के निदेशक डॉ. नेशामणि ने बताया कि बाघ के गिरी टोला में होने का लोकेशन मिला है. उस लोकेशन पर वनकर्मियों की टीम पहुंच कर रेस्क्यू करने में जुटी हुई है.