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Bihar: जमीन दलाल नहीं बना सकेंगे बेवकूफ, नक्शा के रंग से पता चल जायेगा जमीन विवादित है या नहीं, जानें पूरी बात

जमीन खरीदते समय अब किसी के साथ धोखा नहीं होगा. विवाद की स्थिति में पुलिस कंप्यूटर पर एक क्लिक कर यह जान लेगी कि उसके थाना क्षेत्र में किस रकबा के किस खेसरा में कौन प्लाट विवादित है और कौन नहीं? जमीनों की जीआइएस मैपिंग में जमीन और उसके विवाद की प्रकृति को रंग के आधार पर दिखाया जायेगा.

पकंज कुमार, सीवान/पटना

जमीन खरीदते समय अब किसी के साथ धोखा नहीं होगा. विवाद की स्थिति में पुलिस कंप्यूटर पर एक क्लिक कर यह जान लेगी कि उसके थाना क्षेत्र में किस रकबा के किस खेसरा में कौन प्लाट विवादित है और कौन नहीं? जमीनों की जीआइएस मैपिंग (भौगोलिक सूचना तंत्र) में जमीन और उसके विवाद की प्रकृति को रंग के आधार पर दिखाया जायेगा. इसमें लाल, पीला और हरा रंग का प्रयोग होगा. नक्शा में लाल रंग का मतलब हाेगा कि जमीन नहीं खरीदनी है, इस पर विवाद है. इस संबंध में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने दिशा निर्देश जारी किया. उनके आदेश पर भू समाधान पोर्टल को अपडेट किया जा रहा है.

जीआइएस मैपिंग से हो रही निगरानी

जमीन विवाद बढ़ने और उससे होने वाले अपराधों को लेकर जीआइएस मैपिंग से निगरानी हो रही है, जिसमें विवादित भूमि को अलग-अलग रंगों से चिह्नित कर दिखाया गया है. रंग के अनुसार ही जमीन के विवाद का पता चलता है कि वहां विवाद कितना गंभीर है. इससे पहले ओपी, थाना, अनुमंडल और जिलास्तर पर मैनुअली जमीन विवाद का डाटा तैयार होता था, अब जीआइएस मैपिंग से काफी सुविधा होगी. जमीन विवाद यदि सुलझता जाता है, तो मैप में उसका कलर बदल जाता है. इससे पता चलता है कि विवादित जमीन की अभी क्या स्थिति है. इसके लिए भू-समाधान पोर्टल को अपडेट कराया जा रहा है.

मुख्य सचिव तक देख सकेंगे किसी भी प्लाट की स्थित

पोर्टल को इस तरह से माॅडीफाइ किया जायेगा कि मुख्य सचिव तक ऑनलाइन किसी भी वक्त किसी भी मामले की जानकारी ले सकेंगे. मुख्यालय से थाना स्तर पर की जाने वाली मानीटरिंग के लिए प्रारूप तय किया गया है. इससे यह पता चलेगा कि भूमि विवाद कब दर्ज किया गया. समाधान के लिए किस स्तर पर कब बैठक हुई. बैठक में क्या निर्णय लिये गये. इसके अलावा जरूरी अन्य बातें भी दर्ज होंगी. हर तरह की प्रविष्टि और प्रगति थाना स्तर पर ही अपलोड की जायेगी.

जमीन की डीड के समय ही विवादित जमीन की पहचान हो जायेगी

इस नयी व्यवस्था से पहले मैपिंग में केवल सामान्य, संवेदनशील व अतिसंवेदनशील विवादित स्थल को ही अलग-अलग रंगों से दर्शाया गया था. इससे थाना क्षेत्र की जानकारी नहीं हो पाती थी. अब सभी विवादित जमीनों का थानावार डाटा अपलोड होने से जमीन की डीड के समय ही विवादित जमीन की पहचान हो जायेगी. मैपिंग संबंधित थानों या ओपी का लोकेशन और मोबाइल नंबर भी दर्ज किया जा रहा है. इसमें थाने का लैंडलाइन नंबर व थानाध्यक्ष का मोबाइल नंबर भी दर्ज होगा. लोकेशन और नंबर की मदद से कभी भी संबंधित थानों से विवादित जमीन के संबंध में लोग तत्काल जानकारी ले सकेंगे.

2021 में थानों में दर्ज हुए जमीन जुड़े 3336 केस

नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार बिहार में अपराध का सबसे अधिक कारण जमीन विवाद हैं. रिपोर्ट बताती कि राज्य में जमीन के कारण क्राइम रेट 2.7 है. बिहार में वर्ष 2021 में 3336 कांड के पीछे केवल जमीन का विवाद था. हालांकि नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनामिक रिसर्च भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और आधुनिकीकरण के लिए बिहार को पहला स्थान दिया गया है. मूल्यांकन करने वाली इस राष्ट्रीय एजेंसी के अनुसार बिहार ने पिछले साल 125 फीसदी प्रगति की है.

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