बिहार विधानसभा में निर्वाचित 11 सदस्यों का कार्यकाल मई के पहले सप्ताह में पूरा हो रहा है. विधान परिषद की रिक्त होनेवाली इन सीटों पर चुनाव का कार्यक्रम जल्द ही जारी होगा. विधान परिषद के जिन सदस्यों का कार्यकाल पूरा होनेवाला है उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन, जदयू नेता व पूर्व मंत्री संजय कुमार झा, कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा, हम नेता संतोष कुमार सुमन, भाजपा नेता मंगल पांडेय, राजद नेता रामचंद्र पूर्वे, जदयू नेता खालिद अनवर व रामेश्वर महतो और भाजपा नेता संजय पासवान शामिल हैं.
बिहार की राजनीति के नये समीकरण में विधानसभा की संख्या बल के आधार पर एनडीए के पांच उम्मीदवार का जीतना तय माना जा रहा है. छठे सदस्य की जीत के लिए अतिरिक्त मत जुटाने होंगे. जानकारों के मुताबिक एक उम्मीदवार की जीत के लिए 22 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. एनडीए के पास भाजपा के 78, जदयू के 45 और हम के चार एवं एक निर्दलीय विधायक के वोट हैं. इनमें तीन सीटें भाजपा आसानी से जीत लेगी. जदयू की दो सीटें निकल आयेंगी. इनमें एक सीट पर मुख्यमंत्री का निर्वाचन होगा. दूसरी सीट पर जदयूके ही किसी दिग्गज को भेजा जायेगा.
नयी सरकार में हम पार्टी के एक संतोष कुमार सुमन मंत्री बनाये गये हैं. संतोष कुमार पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बेटे हैं. अभी वो विधान परिषद के सदस्य हैं, लेकिन उनका कार्यकाल भी मई में पूरा हो रहा है. लिहाजा मंत्रिमंडल में बने रहने के लिए उन्हें विधान परिषद या विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करनी होगी. विधान परिषद के लिए हम को अपने चार विधायकों के अलावा भाजपा और जदयूू के बाकी वोटों की दरकार होगी. इसके बावजूद जीत के लिए अतिरिक्त मतों की जरूरत होगी.
इधर, इंडिया गठबंधन में राजद अपनी 79 विधायकों के दम पर तीन सीटें निश्चित रूप से जीतने में सफल होगा. बाकी के दो सीटों के लिए कांग्रेस के 19 और राजद के बाकी मत आधार वोट होंगे. जीत के लिए वामदलों के 16 विधायकों का समर्थन जरूरी होगा. खाली हो रही सीटों में एक कांग्रेस की भी सीट है. पार्टी के विधान पार्षद प्रेमचंद्र गुप्ता का कार्यकाल मई में समाप्त हो रहा है.कांग्रेस को अपनी सीटें बरकरार रख पाने के लिए राजद के तीन मतों की जरूरत होगी.
गौरतलब है कि विधान परिषद में कुल 75 सीटें हैं. इसमें विधानसभा सदस्यों द्वारा 27 जनप्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता है, विधान परिषद की एक-तिहाई सीटें हर दो साल के बाद रिक्त होती है, जिस पर मतदान कराया जाता है. इसी क्रम में विधान परिषद की 11 सीटों पर निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल छह मई को पूरा हो रहा है. इन सभी सदस्यों का चुनाव विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाना है. विधान परिषद सदस्यों के लिए विधानसभा में ही बूथ का गठन किया जाता है.