राज्य में नगर निकाय चुनाव में अतिपिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिये जाने के मामले में अपने आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को संशोधित कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने बिहार सरकार सहित अन्य से इस मामले में चार सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा गठित अतिपिछड़ा वर्ग आयोग को डेडिकेटेड कमीशन के रूप में अधिसूचित नहीं किया जाना चाहिए. इससे पहले 28 नवंबर के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने अतिपिछड़ा वर्ग आयोग की जगह आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग आयोग लिखा था. यह याचिका सुनील कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है. राज्य सरकार द्वारा गठित इबीसी आयोग ने अति पिछड़ों को लेकर जो रिपोर्ट तैयार की है, उसी को आधार मानते हुए नगर निकायों के चुनाव की ताजा घोषणा की गयी है.
इधर, अति पिछड़ा आयोग ने अति पिछड़ों की राजनीतिक भागीदारी की स्थिति को लेकर तैयार रिपोर्ट में माना है कि निकायों के प्रत्येक बूथ पर औसतन 40 फीसदी आबादी है. इस लिहाज से उनके लिए 20 फीसदी आरक्षण वाजिब है. आयोग ने एएन सिन्हा संस्थान की मदद से करीब एक हजार 25 बूथों पर सैंपल सर्वे कराया था. इस क्रम में 51 हजार 200 परिवारों के सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक स्थिति का आकलन किया गया. आयोग ने अपनी रिपोर्ट हाल ही में सरकार को दी है. इसे हाइकोर्ट को अगली सुनवाई में सौंपने की तैयारी है.