bihar municipal election 2022 राज्य के 224 नगर निकायों का चुनाव दो चरणों में कराये जाने के लिए आदेश जारी किये जाने के बावजूद अभी कई पेच दूर होना बाकी है. पटना हाइकोर्ट में छह दिसंबर को इससे संबंधित दो महत्वपूर्ण याचिकाओं पर सुनवाई होगी. इसी दिन सरकार की ओर से इबीसी आयोग की रिपोर्ट की जानकारी दी जा सकती है. उधर, सुप्रीम कोर्ट को भी सरकार को जवाब देना है.
हाइकोर्ट में गुरुवार को नगर निकायों में प्रशासकों की तैनाती को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई हुई, लेकिन चुनाव पर रोक लगाने को लेकर खंडपीठ ने कोई टिप्पणी नहीं की. अब नगर निकायों में प्रशासक नियुक्त किये जाने के आदेश को चुनौती देने वाली और डिप्टी मेयर के पद पर आरक्षण से संबंधित याचिका पर छह दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित खंडपीठ में सुनवाई होगी. मालूम हो कि राज्य में 18 और 28 दिसंबर को दो चरणों में नगरपालिका चुनाव होना है.
गुरुवार को अंजू देवी बनाम राज्य सरकार और विजय कुमार विमल बनाम राज्य सरकार के एक मामले में जस्टिस ए अमानुल्लाह और जस्टिस सुनील दत्त मिश्र की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि नगर निकायों में अति पिछड़ों को आरक्षण देने के संबंध में अति पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट आ गयी है. महाधिवक्ता ललित किशोर ने खंडपीठ को बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कराने की तिथियों की घोषणा कर दी है. सुनवाई के दौरान अदालत में नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव भी मौजूद थे.
महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा 30 नवंबर को जारी की गयी अधिसूचना के अनुसार 18 दिसंबर को पहले चरण और 28 दिसंबर को दूसरे चरण का चुनाव होगा. 31 दिसंबर तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जायेगी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि आयोग की रिपोर्ट भी आ गयी है. उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि इससे संबंधित मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में 15 दिसंबर को होनी है. इसके बाद इस मामले की सुनवाई की जाये.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एसबीके मंगलम और अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार पांच वर्ष की अवधि समाप्त होने के पहले नगर निकाय का चुनाव हर हाल में करा लेना है. बिहार में इसका पालन नहीं किया जा रहा है. कई नगर निकायों में एडमिनिस्ट्रेटर के द्वारा कार्य कराया जा रहा है, जो कानूनी रूप से सही नहीं है. कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकार द्वारा अति पिछड़ा वर्ग आयोग को डेडिकेटेड कमीशन का दर्जा देने पर रोक लगा दी है. सरकार की रिपोर्ट जो भी आयी है, उसमें कोई नयी बात नहीं कही गयी है और राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पूर्व के अधिसूचना के आधार पर ही चुनाव कराया जा रहा है. इस पर कोर्ट ने कोई टिप्पणी नहीं की.