पटना. नगरपालिका चुनाव लड़नेवाले वार्ड पार्षद, मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षदों को सोशल मीडिया के यूट्यूब, फेसबुक, ट्वीटर या इंस्टाग्राम पर चुनाव प्रचार-प्रसार के लिए अपने निर्वाची पदाधिकारी (आरओ) से अनुमति लेनी होगी. स्थानीय समाचार चैनलों के माध्यम से भी प्रचार की अनुमति लेनी आवश्यक है. आरओ के बगैर इस प्रकार के प्रचार प्रसार पर कार्रवाई होगी. जिला स्तर पर जिला मीडिया सेल के माध्यम से इस प्रकार की गतिविधियों पर नजर रखी जायेगी.
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव मुकेश सिन्हा ने सभी जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को संपत्ति विरूपण की रोकथाम को लेकर निर्देश जारी किया है. आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रत्याशी या उसके समर्थक द्वारा सरकारी कार्यालय भवन या उसकी दीवार पर किसी तरह का पोस्टर,सूचना, किसी तरह का नारा लिखना या किसी तरह का बैनर या झंडा लटकाता है तो उस पर कार्रवाई होगी. प्रत्याशी या समर्थकों द्वारा कोई होर्डिंग, गेट, तोरण द्वार या कटआउट नहीं लगाया जायेगा. प्रत्याशी आसानी से हटायी जाने योग्य का विज्ञापन निजी मकान मालिक की स्वैच्छिक अनुमति के साथ निजी परिसर में लगा सकते हैं. अनुमति किसी दबाव या धमकी से हासिल नहीं किया जा सकता है.
प्रत्याशियों द्वारा पोस्टर, बैनर को तभी प्रकाशित करेगा जब उसके मुख्य पृष्ठ पर मुद्रक और उसके प्रकाशक का नाम व पता प्रिंट किया गया होगा. इस नियम का उल्लंघन करने पर प्रत्याशी को छह माह का कारावास या दो हजार रुपया जुर्माना या दोनो दंड हो सकता है.
वहीं, राज्य में नगरपालिका आम चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने 161 ऑब्जर्वरों की तैनाती कर दी है. शुक्रवार को सभी ऑब्जर्वरों की सूची सभी विभागों को जारी करते हुए 19 सितंबर को उनकी ब्रीफिंग बैठक बुलायी गयी है. इस बैठक में सभी ऑब्जर्वरों को पोर्टफोलियो बैग उपलब्ध कराया जायेगा, जिसमें उनको सभी प्रकार के निर्वाचन निर्देशों की सूची उपलब्ध करा दी जायेगी. दो चरणों में नगरपालिका चुनाव कराने वाले ऑब्जर्वरों के लिए ऑब्जर्वर एप तैयार किया गया है, जिसके माध्यम से वह आयोग को रिपोर्ट भेजेंगे.
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पहले से ही ऑब्जर्वरों के लिए हैंडबुक तैयार कराया गया है. नगरपालिका चुनाव कराने वाले ऑब्जर्वर अपने भ्रमण के दौरान शराब की बिक्री, प्रत्याशी के मित्र, संबंधी या समर्थक के चुनावी खर्च पर पैनी नजर रखेंगे. उनकी जिम्मेदारी पोलिंग और काउंटिंग टीम के रैंडमाइजेशन की होगी.
ऑब्जर्वर अपने निर्वाचन के दायित्व वाले क्षेत्र में दो भ्रमण करेंगे. पहले भ्रमण के दौरान नामांकन पत्रों की सही जांच व सिंबल के सही आवंटन सुनिश्चित करेंगे. वह पहले भ्रमण के दौरान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व कमजोर वर्ग के मतदाताओं से बातचीत कर उनकी स्थिति का आकलन करेंगे. साथ ही बूथ के गठन में कहीं आयोग के निर्देशों का तो उल्लंघन नहीं किया गया है, इसकी जांच करेंगे. दूसरे भ्रमण के दौरान चुनाव प्रचार व मतगणना की समाप्ति तक वह प्रत्याशी के खर्च, वाहनों के उपयोग, स्ट्रांग रूप व मतगणना स्थल का निरीक्षण करेंगे. मतदान के दिन वे अपने भ्रमण के कार्यक्रम को गुप्त रखेगे. वह ऑब्जर्वर एप के माध्यम से आयोग को रिपोर्ट देंगे और मीडिया से बातचीत नहीं करेंगे.