बिहार के सभी जिलों में ठेका नगर निगम कर्मचारी आज से हड़ताल पर हैं. उनके हड़ताड़ पर जाने से जगह-जगह गंदगी का अंबार लग गया है. बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ शाखा नगर निगम के सैकड़ों कर्मचारियों ने नगर निगम के गेट पर ताला जड़कर सुबह सात बजे ही संघ के अध्यक्ष पुनदेव कुमार की अध्यक्षता में धरना पर बैठ गये. धरना सभा में बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के जिला सचिव सह ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल आफ ट्रेड यूनियन्स के जिला सचिव रवींद्र कुमार ‘रवि’ ने कहा कि सरकार की हटधर्मिता व तानाशाही रवैये है. इसके कारण आज सम्पूर्ण बिहार के शहरी निकाय के सफाई कर्मचारी एक बार फिर अपनी 11 सूत्रीं मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल हैं. बिहार के शहरी निकायों में संविदा, दैनिक वेतन कमीशन एवं स्थाई कर्मियों के साथ बिहार सरकार द्वारा आय दिन कुठाराघात किया जा रहा है.
रवींद्र कुमार ने कहा कि स्थानीय निकाय में वर्षों से संविदा एवं दैनिक पर सफाईकर्मी 90 फीसदी महादलित समुदाय से आते हैं, जिनके पदों को बिहार सरकार ने 2018 समाप्त करते सभी पदों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से कराने का निर्देश दे दिया है. नगर निगम कर्मचारी संघ जिला संयोजक विनय कुमार बागी ने कहा कि निकाय के स्थाई कर्मियों के संबंध में भी संविधान एवं अधिनियम के विपरीत तरह-तरह के आदेश निर्गत पर कुठाराघात किया जा रहा है. संयुक्त मोर्चा के गठनोपरान्त महासंघ के द्वारा संयुक्त रूप से कर्मियों की समस्याओं का समाधान के लिए 11 सूत्री मांगों की सूची 13 अगस्त को सरकार को सौंपा गया, परंतु राज्य के नई सरकार भी आज तक सफाई कर्मचारियों की मांगों को अनदेखी कर रही है.
संघ के अध्यक्ष पुनदेव कुमार और उपाध्यक्ष अमित कुमार ने कहा कि मांगों को माने जाने तक कर्मचारियों का अनिश्चित कालीन हड़ताल जारी रहेगा. नूर आलम ने कहा कि पिछले वर्ष इस हड़ताल को माननीय हाईकोर्ट द्वारा सरकार को 8 सप्ताह का समय महासंघ के नेताओं के साथ वार्ताकर जटिल समस्याओं को समाधान करने की बात पर हड़ताल को स्थगित किया गया था, परन्तु इस बार की हड़ताल में सरकार से सीधे आर पार की बात होगी. धरना को संजीव कुमार,मदन राम, राकेश कुमार,अजय तिवारी,रंजीता कुमारी,अशर्फी राउत, जुगनू कुमार, कैलाश राउत, जयनारायण राउत, मिन्ता देवी, राजेश कुमार आदि नेताओं ने भी संबोधित किये.
इनकी मुख्य मांगों में वर्षों से कार्यरत सफाई कर्मियों को सेवा नियमित करने, नगर निकायों में कार्यरत सभी नियमित कर्मियों को सरकारी कर्मी के समतुल्य वेतन, पेंशन व एसीपी का लाभ देने, नगर निकायों में निजीकरण पर रोक लगाई जाए एवं आउट सोर्सिंग से बहाली बंद करने जैसे प्रमुख मांगें शामिल हैं.