लोगों की सहूलियत के साथ विकास के रफ्तार पर कदमताल करने वाली नगर परिषद पर अब सैरात तथा टैक्स से ही नहीं अन्य श्रोतों से भी लक्ष्मी बरसने वाली है. नगर परिषद की ओर से इसकी जुगत कर ली गयी है और आने वाले दिनों में कचरे से तैयार खाद से नगर परिषद को बेहतर आय की संभावना है. जी हां नगर परिषद प्रशासन की ओर से गीले कचरे से बायो कंपोस्ट खाद बनाने की तैयारी का ट्रायल हो चुका है.
पहले चरण में करीब तीन क्विंटल खाद तैयार किया जा चुका है. सब कुठ ठीक ठाक रहा तो आने वाले दिनों में गीले कचरे खासकर बाजार से वेस्टेज के रूप में फेंकी जाने वाली और लोगों के घरों से निकलने वाली सब्जियों व अन्य गीले कचरे से प्रतिमाह 50 से 60 क्विंटल बायो कंपोस्ट खाद तैयार हो सकेगा. इसके लिए नगर परिषद प्रशासन जी जान से लगा है. नगर के वार्ड संख्या 24 दिउलिया स्थित कचरा प्रोसेसिंग यूनिट में फिलहाल गीले कचरे से बायो कंपोस्ट खाद बनाया जा रहा है. नगर प्रबंधक रितेश कुमार ने बताया कि वर्तमान समय कचरा प्रोसेसिंग यूनिट में तैयार खाद की क्वालिटी बेहतर है. कृषि एक्सपर्ट से भी खाद की जांच करायी गयी है. सभी ने खाद को गुणवत्तापूर्ण बताया है. आने वाले दिनों में इसे बृहत रूप से तैयार करने की योजना है.
नगर परिषद की ओर से जैविक खाद बनाये जाने की प्रशंसा चहूं ओर हो रही है. इससे जहां बेरोजगारो के लिए रोजगार का सृजन होगा, वही नगर परिषद को प्रतिमाह हजारो की आमदनी होगी. किसान के गढ़ होने के कारण यहां बायो कंपोस्ट खाद की मांग अधिक है. एक ट्रेलर गोबर खाद यहां पांच से सात हजार रूपये में बिकता है. ऐसे में अगर प्रतिमाह बायो कपोस्ट खाद का उत्पादन 50 से 60 क्विंटल भी होता है तो यह आमदनी हजार से लाख में भी पहुंच सकती है. वर्तमान समय खाद बनाने के काम में प्रभु राउत, मीरा देवी, पूनम देवी, सुनील राउत आदि को लगाया गया है. जिले का यह पहला नगर निकाय होगा जहां कचरे से बायो कंपोस्ट खाद तैयार किया जा रहा है.
नगर परिषद की ओर से गया नगर निगम से संपर्क किया जा रहा है. जल्द ही कचरे से बने खाद का रेट निर्धारण किया जाएगा. लोगों को पांच किलो से लेकर 50 किलो तक बायो कंपोस्ट मिल सके, इसकी पैकिंग करायी जायेगी. स्वच्छता के साथ नगर परिषद का आमदनी बढ़े प्रयास जारी है.
आमीर सुहैल, इओ, नगर परिषद