कैलाशपति मिश्र: बिहार तेजी से पयर्टन मानचित्र पर उभरता हुआ राज्य बन गया है. झारखंड से बंटवारे के वक्त कहा जाता था कि बिहार में बस बालू ही बच गया है, लेकिन बिहार को टूरिज्म फ्रेंडली राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार लगातार कोशिशों के कारण अब काफी संख्या में पर्यटक यहां आने लगे हैं. यही वजह है कि पिछले साल (2022 में) राज्य के अलग-अलग पर्यटन स्थलों पर 85 लाख से अधिक लोग आ चुके थे. इनमें देशी और विदेशी दोनों पर्यटक शामिल हैं.
राज्य सरकार ने पर्यटन नीति बनायी है और पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया है. पर्यटकीय सुविधा विकसित करने वाली कंपनियों को निवेश पर उद्योग की तरह ही प्रोत्साहन दिये जा रहे हैं. बिहार में एक तरफ जहां ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों को विकसित किया जा रहा है, तो दूसरी तरह धार्मिक और इको टूरिज्म पर भी जोर दिया जा रहा है. राज्य के सभी पुरातात्विक स्थल और स्मारकों को ऐसी सुविधाएं दी जा रही हैं, जो टूरिस्टों को अन्य राज्यों में दी जाती हैं. इनमें देशी और विदेशी दोनों तरह के पर्यटक शामिल हैं.
बिहार के पुरातात्विक स्थल व स्मारक पर्यटकीय सुविधाओं से लैस किये जा रहे हैं. सरकार की कोशिश है कि अधिक से अधिक पर्यटक पुरातात्विक स्थलों तक लोग पहुंचें. यहां आने के दौरान उनके आवागमन से लेकर हर जरूरतों का ख्याल रखा जायेगा. खासतौर से बच्चों और नयी पीढ़ी को आकर्षित करने के लिए कुछ नये प्रयोग भी किये जा रहे हैं. इनके संरक्षण, संवर्द्धन व सौंदर्यीकरण के प्रस्ताव तैयार कये गये हैं. राज्य में लग्जरी होटल खुल रहे हैं. विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बोधगया में इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर बनाया गया है. राज्य में धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का भरपूर विकास हुआ है.
बोधगया, राजगीर और वैशाली में बड़ी संख्या में विदेशी और देशी पर्यटक आ रहे हैं. राज्य सरकार अब प्राकृतिक स्थलों पर भी को टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित कर रही है. इन पर्यटन स्थलों पर अब गोवा और चेन्नई जैसी सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेंगी. झील को भी विकसित किया जा रहा है. वाटर स्पोटर्स के लिए पारासेल बोट, फ्लोटिंग जेटी, स्पीड बोट और जेट अटैक आदि की व्यवस्था की जा रही है. पर्यटन स्थलों का विकास इस प्रकार किया जा रहा है कि पर्यटक घूमने के साथ-साथ वहां पर रुक सकें. इससे राज्य के आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी.
राज्य में पर्यटन के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. यहां के ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थलों के पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर रोजगार सृजन के साथ क्षेत्र का आर्थिक विकास किया जा सकता है. राज्य में रामायण, बौद्ध, जैन, गांधी, शिव शक्ति परिपथ, सिख सर्किट विकसित किये गये हैं. इनके अलावा मंदार पर्वत और अंग प्रदेश परिपथ का विकास और चंपापुरी सहित जैन परिपथ के लिए बहुत काम किये गये हैं. अब राजगीर के विश्व शांति स्तूप और रोप-वे के नजदीक सैलानियों के लिए और भी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेंगी. यहां आने वाले देसी और विदेशी सैलानियों के लिए इंटीग्रेटेड भवन बनाया जा रहा है. राजगीर में दोनों रोप-वे के बेस स्टेशन के पास इस भवन का निर्माण किया जा रहा है. इंटीग्रेटेड भवन में एक ही जगह पर शॉपिंग से लेकर खाने-पीने तक की तमाम सुविधाएं होगी. नालंदा का विश्व शांति स्तूप महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट प्लेस है.
बिहार में थ्री स्टार से लेकर फाइव स्टार होटल खोलने की योजना है. पटना में पांच सितारा होटल के साथ-साथ हेरीटेज होटल भी विकसित किये जा रहे हैं.
पिछले साल जनवरी से अगस्त तक ही 84 लाख अधिक देशी-विदेशी पर्यटक बिहार आ चुके थे. पर्यटन विभाग के मुताबिक अनुसार जनवरी से अगस्त तक 84 लाख 55 हजार 127 देशी, तो 12669 विदेशी पर्यटकों ने बिहार के पर्यटन स्थलों की सैर की. इसी तरह 2021 में 2502239 पर्यटक आये थे. इनमें 2501193 देशी और 1046 विदेशी पर्यटक थे. बिहार आने वाले पर्यटकों की पहला पसंद राजगीर रहती है. नालंदा के अन्य पर्यटन स्थल पर्यटकों की दूसरी पसंद है. तीसरे स्थान पर बोधगया और पटना के पर्यटन स्थल हैं.
इस साल राजगीर में दस लाख से अधिक देशी, तो ढाई हजार के करीब विदेशी पर्यटक आये, नालंदा के अन्य पर्यटन स्थलों को 4.48 लाख देशी और 1654 विदेशी पर्यटकों ने देखा. वहीं बोध गया में चार लाख के करीब देशी, तो 34378 विदेशी पर्यटक पहुंचे. अभी तक सबसे अधिक विदेशी पर्यटक बोध गया में घूमने आये हैं. वहीं, राजधानी पटना में देशी पर्यटकों की संख्या 4 लाख तो विदेशी पर्यटकों की संख्या 2323 है.
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स्थान – देसी – विदेसी
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पटना – 606724- – 4055
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गया – देशी 373586 – 9240
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बोधगया – 930557 – 13253
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राजगीर – 1591279 – 132277
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नालंदा – 752612 – 9993
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मुंगेर- 148541 – 210
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मुजफ्फरपुर : 1082439 – 21
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सोनपुर – 4928541- 489 (सिर्फ नवंबर में)
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बांका- 132704 – 146
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भागलपुर 148866 – 292