Bihar Durga Puja Live: पटना के खाजपुरा में महिष्मति के रूप में बन रहा है पंडाल, होगा आकर्षण का केंद्र
नवरात्र के शुरू होते ही पूरे शहर का माहौल भक्तिमय हो गया है. जहां पूजा पंडाल और मंदिर है, वहां सुबहशाम माता की आरती और पाठ की जा रही है. हर पंडाल और मंदिर की सजावट की खासियत उसका थीम बेस्ड डेकोरेशन और लाइटिंग है. शहर के विभिन्न इलाकों में लाइटिंग, रिबन और सजावट का कार्य जारी है.
मुख्य बातें
नवरात्र के शुरू होते ही पूरे शहर का माहौल भक्तिमय हो गया है. जहां पूजा पंडाल और मंदिर है, वहां सुबहशाम माता की आरती और पाठ की जा रही है. हर पंडाल और मंदिर की सजावट की खासियत उसका थीम बेस्ड डेकोरेशन और लाइटिंग है. शहर के विभिन्न इलाकों में लाइटिंग, रिबन और सजावट का कार्य जारी है.
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पटना के खाजपुरा में महिष्मति के रूप में बन रहा है पंडाल, होगा आकर्षण का केंद्र
पटना की सड़कों व गलियों में कला, संस्कृति व आस्था के रंग बिखरने लगे हैं. दुर्गोत्सव को लेकर लोगों में काफी उमंग देखा जा रहा है. नवरात्र के छठे दिन आज मां कात्यायनी की पूजा होगी. वहीं, पटना के खाजपुरा में महिष्मति के रूप में पंडाल बन रहा है, जो पटना वासियों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा.
पटना में कहीं लिपस्टिक व कॉर्नफ्लेक्स, तो कहीं ज्वार और बाजरा की प्रतिमा, हर तरफ आस्था के रंग
पटना शहर में मौजूद मूर्तिकार भाइयों की जोड़ी ने इस साल भी नवरात्र में कुछ हट कर प्रतिमा तैयार की है. जीतेंद्र कुमार और उनके छोटे भाई चंदन कुमार ने मिल कर पांच तरह की भारत माता की प्रतिमाएं तैयार की हैं. इसमें उन दोनों ने बाजरा, ज्वार, गेहूं-मकई चिप्स (कॉर्नफ्लेक्स), मिक्स पापड़ और लिपस्टिक की प्रतिमा तैयार की है.
पटना के अदालतगंज दुर्गा पूजा : यहां की पूजा की है खास विशेषता, नारियल का गुड़ वाला लड्डू (नाडू) है प्रसिद्ध
पटना के अदालतगंज दुर्गा पूजा कमेटी इस वर्ष अपनी शताब्दी वर्ष मना रही है. यहां पूजा सन 1923 में अदालतगंज क्वार्टर परिसर में शुरू की गयी थी. यहां पूजा में सभी रीति-रिवाज एवं पूजा बंगाली पद्धति द्वारा मनाया जाता है. यहां की पूजा की खास विशेषता है यहां का प्रसाद. प्रसाद में यहां नारियल का गुड़ वाला लड्डू (नाडू) मिलता है तथा दोपहर को मां का भोग वितरण किया जाता है.
पटना के बंगाली अखाड़ा में मां दुर्गा की आज होगी प्राण प्रतिष्ठा, खुलेगा पट
राजधानी पटना में भक्ति की बयार बह रही है. शहर भक्ति के रंग में रंगा नजर आ रहा है. पटना की सड़कों व गलियों में कला, संस्कृति व आस्था के रंग बिखरने लगे हैं. दुर्गोत्सव को लेकर लोगों में काफी उमंग देखा जा रहा है. नवरात्र के छठे दिन आज मां कात्यायनी की पूजा होगी. इसी के साथ सभी बंगाली अखाड़ा में देवी का पट खोल दिया जायेगा. जबकि सप्तमी (रविवार) को शहर के सभी मंदिरों और पूजा पंडालों के पट आम भक्तों के लिए खोले जायेंगे. शहर में बंगाली परंपराओं के अनुसार होने वाली पूजा पद्धती और इसके इतिहास से रूबरू करती पेश है.
पटना के आर ब्लॉक के आर्थोडाक्स चैंबर एमएलए कंपाउंड में 1942 से होती है पूजा
पटना के आर लॉक में 1940 से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. आर ब्लॉक रोड नंबर-6 में स्व सरोजेन्दु मुखर्जी ने अपने मित्रों के साथ मिल कर पूजा की शुरुआत की थी. उसके बाद 1942 से आर ब्लॉक के आर्थोडाक्स चैंबर एमएलए कंपाउंड में पूजा होती है. शुरू से ही यहां एक ही तरह की मूर्तियां बनती है. आर ब्लॉक एवं वाटर टावर दुर्गा पूजा समिति के संयोजक ध्रुब मुखर्जी ने बताया कि यहां प्रतिदिन मां का भोग लगाया जाता है. सप्तमी को चावल, अष्टमी को खिचड़ी और नवमी को पुलाव का भोग लगाया जाता है. पहले रोड नंबर छह में पूजा का आयोजन होता है.
पटना के नेहरू नगर : जगमोहन पैलेस के रूप में तैयार किया जा रहा है भव्य पंडाल
पटना के नेहरू मार्ग, बेली रोड (जगदेव पथ) पर मून क्लब की ओर से कर्नाटक का जगमोहन पैलेस पंडाल के रूप में साकार होगा. इसके गवाह बनेंगे पटना के लाखों श्रद्धालु यहां वर्ष 1999 से लगातार पूजा का आयोजन किया जा रहा है. इस पंडाल में मां दुर्गा रौद्र रूप में महिषासुर का संहार करती विराजमान होंगी. साथ ही मां सरस्वती और मां लक्ष्मी के आशीर्वादी रूप में दर्शन होंगे. सभी प्रतिमा को एक प्रेम में बनाया जा रहा है. इस वर्ष मां दुर्गा की 18 फीट की रौद्ररूप की प्रतिमा की स्थापना हो रही है. वही मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की 12 फुट की प्रतिमा दिखेंगी. इस वर्ष यहां राक्षस शेर से लड़ता हुआ नजर आयेगा. प्रतिमा का निर्माण बांग्ला पद्धति कअनुसार एक ही फ्रेम पर हो रहा है.
पटना कालीबाड़ी : कोलकाता से आता है मां के शृंगार का सामान ढाकेर साज
गर्दनीबाग रोड नंबर एक में कालीबाड़ी मंदिर की स्थापना दो फरवरी, 1977 को हुई थी. वाराणसी से लायी गयी मां काली की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा देवघर के श्रीश्री मोहनानंद ब्रह्मचारी महाराज ने की थी. यहां बायीं ओर राधाकृष्ण और दायीं शिव की मूर्ति है. इसके अलावा मां दुर्गा की अष्टधातु की प्रतिमा भी है. वैसे मंदिर में शनिवार, पूर्णिमा व अमावस्या को विशेष पूजा होती है. 70 सालों से अनवरत दुर्गापूजा : काली पूजा और दुर्गा पूजा के दौरान यहां काफी भीड़ जुटती है. इस मंदिर में बंगाली समुदाय के लोग बड़ी संख्या में जुटते हैं. यहां दुर्गा पूजा उत्सव का आयोजन वर्ष 1952 से हो रहा है. मां दुर्गा के शृंगार का सामान ढाकेर साज कोलकाता से मंगाया जाता है. इसमें मुकुट, कान की बाली, माला आदि होता है. पष्ठी के दिन शाम को कलश की स्थापना होती है और मां का पट खुलता है. दुर्गा पूजा में पूजा करने के लिए कोलकाता से पुरोहित आते हैं.