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Bihar News: राज्य के छह विभागों में 44 फीसदी इंजीनियरों की कमी, कामकाज की गति धीमी

Bihar News: बिहार के छह विभागों में इंजीनियरों की करीब 44 फीसदी अब भी कमी है. इनमें पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, भवन निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, लघु जल संसाधन विभाग और लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग शामिल हैं.

बिहार के छह विभागों में इंजीनियरों की करीब 44 फीसदी अब भी कमी है. इनमें पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, भवन निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, लघु जल संसाधन विभाग और लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग शामिल हैं. हालांकि, कई विभागों द्वारा इसके विकल्प के रूप में संविदा पर इंजीनियरों की बहाली कर काम करवाया जा रहा है. इसके बावजूद कामकाज की गति धीमी है.

इंजीनियरों की कमी का असर विभागों के कामकाज पर भी पड़ रहा है. सभी छह विभागों की अधिकतर परियोजनाएं अपने तय समय से दो से तीन गुनी समय की देरी से पूरा हो रही हैं. परियोजनाओं के निर्माण या मरम्मत में देरी से उनकी लागत भी कई गुना अधिक बढ़ जाती है. इससे राज्य सरकार को राजस्व की हानि तो हो ही रही है, साथ ही आम लोगों को भी सुविधाएं नहीं मिल सकने से आर्थिक गतिविधियां भी प्रभावित हो रही हैं.

सूत्रों का कहना है कि राज्य के सभी छह विभागों में असिस्टेंट इंजीनियरों से इंजीनियर इन चीफ के स्वीकृत पद करीब 6322 थे. इनमें से करीब 1391 असिस्टेंट इंजीनियर सेवा में थे. इसके अलावा हाल ही में बीपीएससी के माध्यम से असिस्टेंट इंजीनियरों की नियुक्ति के लिए 1241 उम्मीदवारों का चयन हुआ है. इसकी प्रक्रिया चल रही है. इनकी नियुक्ति के बावजूद राज्य के सभी छह विभागों में करीब 2810 इंजीनियरों की कमी बरकरार रहेगी.

विभागीय सूत्रों का कहना है कि समय-समय पर इंजीनियरों की कमी की सूचना की जानकारी ऊपर के स्तर पर दी जाती है. साथ ही इनकी बहाली की मांग भी भेजी जाती है, लेकिन यह बहुत समय से लंबित रहा है. हाल ही में 1241 असिस्टेंट इंजीनियरों का चयन बीपीएससी के माध्यम से हुआ है, इसकी प्रक्रिया 2016 से ही चल रही थी और बीपीएससी ने 2017 में विज्ञापन जारी किया था. यह प्रक्रिया पूरी होने में ही करीब चार साल लग गये.

क्या कहता है इंजीनियरों का संघ : बिहार अभियंत्रण सेवा संघ के महासचिव डाॅ सुनील कुमार चौधरी ने कहा है कि राज्य में आधारभूत संरचनाओं (इन्फ्रास्टक्चर) के क्षेत्र में बढ़ते निवेश के कारण इंजीनियरों की भूमिका राज्य के विकास में बढ़ती जा रही है. ऐसे में इंजीनियरों की पर्याप्त संख्या के बिना राज्य के चहुंमुखी विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है. फिलहाल जो इंजीनियर कार्यरत हैं, वे अतिरिक्त बोझ से दबे हुए हैं. डॉ चौधरी ने सरकार से इंजीनियरों की बहाली की दिशा में पहल करने की मांग की है.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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