Bihar news: भागलपुर में MDM खाने से 54 बच्चे हुए बीमार, परिजनों के डर से स्कूल बंद कर फरार हुए शिक्षक
छिपकली सबसे पहले कक्षा पांच की छात्रा रानी के भोजन की थाली (MDM Scheme Bihar) से निकला, तो उसने खाना नहीं खाया. साथ ही उसने सभी को सब्जी में छिपकली गिरने के बारे में बताया, लेकिन तबतक करीब 50 बच्चों ने खाना खा लिया था.
भागलपुर: जगदीशपुर प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय सैनो में एमडीएम में एक छिपकली गिर गयी. उस खाना को खाने से 54 बच्चों की तबीयत बिगड़ गयी. इससे स्कूल में अफरातफरी मच गयी. सबसे पहले दो बच्चों की तबीयत खराब हुई तो प्रधानाध्यापक उन्हें लेकर डॉक्टर के पास गये. डॉक्टर ने बच्चों को दवा दी और उन्हें खतरे से बाहर बताया. उसके बाद एक-एक कर कई और बच्चे बीमार होते चले गये. खबर मिलने पर बच्चों के परिजन स्कूल के बाहर जुट गये और जमकर हो-हंगामा किया.
स्कूल बंद कर शिक्षक हुए फरार
हंगामा को बढ़ता देख शिक्षक स्कूल बंद कर फरार हो गये. सूचना मिलने पर बीडीओ व थानाध्यक्ष स्कूल पहुंचे और जिन बच्चों की तबीयत खराब थी, उन्हें अस्पताल पहुंचाया. सभी बच्चों का इलाज कराया गया. एक बच्चे के परिजन संतुष्टि के लिए उसे भागलपुर ले गये तथा बाकी बच्चों का इलाज अस्पताल में ही कराया गया. बाद में सीएस व बीइओ भी अस्पताल पहुंचे और स्थिति की जांच की. सीएस ने बताया कि छिपकली का जहर जानलेवा नहीं होता है. कुछ शारीरिक परेशानियां होती हैं, लेकिन सभी बच्चे खतरे से बाहर हैं. इधर बीडीओ और बीइओ ने कहा कि इस लापरवाही पर कार्रवाई की जायेगी.
परिजनों के डर से भाग खड़े हुए शिक्षक
छिपकली सबसे पहले कक्षा पांच की छात्रा रानी के भोजन की थाली से निकला, तो उसने खाना नहीं खाया. साथ ही उसने सभी को सब्जी में छिपकली गिरने के बारे में बताया, लेकिन तबतक करीब 50 बच्चों ने खाना खा लिया था. शिक्षकों ने छिपकली गिरने की बात पता चलने पर सबको खाना खाने से रोक दिया. इसके बाद बच्चों की स्थिति पर नजर रखी जाने लगी. जब दो बच्चों ने पेट में दर्द होने की शिकायत की तो शिक्षक उसे लेकर डॉक्टर के पास गये, जहां उसे दवा देकर खतरे से बाहर बताया गया. उसके बाद शाम के तीन बजे तक स्थिति सामान्य रही. फिर जब अन्य बच्चों ने परेशानी बतानी शुरू की तो परिजन इकट्ठा होने लगे. यह देख सभी शिक्षक स्कूल बंद कर निकल गये. प्रधानाध्यापक शैलेंद्र कुमार ने बताया कि भोजन में छिपकली मिलने के बाद सारे भोजन को फेंक दिया गया और फिर से एमडीएम तैयार कर बच्चों को खिलाया गया.