पूर्णिया: अपने देश में पुरातन काल से अतिथि देव भव: की संस्कृति रही है. लेकिन पूर्णिया में एक ऐसा गांव है जहां अतिथियों के आने पर उन्हें बंधक बना लिया जाता है और तबतक छोड़ा नहीं जाता जबतक वह पैसे नहीं भर दे. यह परिपाटी कब से शुरू हुई, कोई नहीं जानता पर धीरे-धीरे इसके कई दुष्परिणाम सामने आने लगे. जब दूसरे गांवों वालों ने डर से उस गांव में रिश्ता करना छोड़ दिया तब समाज के कान खड़े हुए. लेकिन पहल कौन करेगा, यह दिक्कत थी.
इस कुरीति को दूर करने के लिए सदर थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह आगे आये. उनकी पहल पर वर्षों से रिश्तेदारों को बंधक बनाकर मोटी रकम वसूलने की परंपरा का पटाक्षेप हो गया. यह मामला है जिले के सदर थाना क्षेत्र के चिमनी बाजार गांव का. स्थानीय निवासी मुजफ्फर आलम ने बताया कि इस इलाके की लड़की की शादी आसपास या फिर अन्य जगहों पर होने के बाद जब पति-पत्नी के बीच मनमुटाव हो जाता था, तो मायकेवाले बेटी के ससुरालवालों को किसी तरह से बहला फुसलाकर अपने यहां बुला लेते थे. बुलाने के बाद उसे बंधक बनाकर रुपये वसूले जाते थे.
सदर थानाध्यक्ष ने बताया कि इस कुरीति के चलते अबतक 30 से अधिक लोगों पर मुकदमा किया गया है. लगातार इस तरह के मामला आने से सदर पुलिस भी आजिज हो चुकी थी. इससे निजात दिलाने के लिए सदर थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने लोगों को जागरूक किया और इस तरह के गैरकानूनी काम नहीं करने की अपील की. उनके इस अपील की समाज पर अच्छा असर पड़ा. रविवार को सदर थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह की मौजूदगी में समाज के लोग एक जगह इकठ्ठा हुए और सभी ने सामूहिक रूप से इस तरह के काम को दोबारा नहीं करने की शपथ ली.
सदर थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने कहा कि चिमनी बाजार को लेकर पिछले कई दशक से लोगों के मन में यह भ्रांति फैली हुई थी कि वहां के रिश्तेदार अपने ही कुटुंब को बंधक बनाकर रुपये वसूलने का काम करते हैं. लोगों ने आइंदा इस तरह का काम नहीं करने की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की. लोगों ने शपथ लिया कि वह ऐसा किसी को करने के लिए भी प्रेरित नहीं करेंगे. यदि ऐसा कोई करेगा तो वह कानून के तहत दंड का भागी होगा.