पटना. पटना हाइकोर्ट ने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के नाम पर औपबंधिक (प्रोविजनल) जमानत पर रिहा अभियुक्त के फरार हो जाने के मामले में अभियुक्त के जमानतदार छोटे भाई की गिरफ्तारी का आदेश दिया है. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए पटना के एसएसपी को निर्देश दिया कि वह इस मामले के जमानतदार और याचिकाकर्ता के छोटे भाई विजय साहनी को हर हाल में गिरफ्तार करें.
जस्टिस सत्यव्रत वर्मा की एकलपीठ ने प्रेम साहनी द्वारा दायर जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. कोर्ट के निर्देश पर पटना के वर्तमान एसएसपी, पटना सिटी के एसडीपीओ और पटना के दो पूर्व एसएसपी गरिमा मल्लिक और उपेंद्र शर्मा सुनवाई में वर्चुअल रूप से उपस्थित थे. कोर्ट ने सभी अधिकारियों को आगे कोर्ट के समक्ष उपस्थिति से छूट दे दी है.
पूर्व में ही कोर्ट ने उक्त मामले में पटना के वर्तमान एसएसपी द्वारा किये गये प्रयासों की सराहना करते हुए अगमकुआं के एसएचओ को शोकॉज भी दाखिल करने को कहा था. एसएचओ को शोकॉज में यह भी बताने को कहा गया था कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के लिए उसके द्वारा क्या-क्या कदम उठाये गये हैं.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के छोटे भाई विजय साहनी को भी नोटिस जारी किया था, जिसके हलफनामा के आधार पर याचिकाकर्ता को औपबंधिक जमानत दी गयी थी. पूर्व में कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगमकुआं के एसएचओ द्वारा दायर शोकॉज का जवाब पूर्ण रूप से असंतोषजनक है. इसके बाद अगमकुआं थाना के एसएचओ को विगत 25 सितंबर, 2019 को भी कोर्ट में तलब किया गया था.
कोर्ट ने पटना के वर्तमान एसएसपी की सराहना करते हुए कहा कि 10 जनवरी, 2022 को दिये गये आदेश की जानकारी प्राप्त होने के बाद वर्तमान एसएसपी ने याचिकाकर्ता का पता लगाने का काम किया. लेकिन पूर्व के दो एसएसपी ने हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी अभियुक्त को दो साल से ज्यादा समय तक गिरफ्तार नहीं किया. कोर्ट का कहना था कि पटना के वर्तमान एसएसपी ने भगोड़े का पता लगाने में अपनी कौशल और क्षमता दिखायी है.
कोर्ट को जानकारी दी गयी थी कि 18 जुलाई, 2018 से 31 दिसंबर, 2019 तक गरिमा मल्लिक पटना की एसएसपी थीं और एक जनवरी, 2020 से एक जनवरी, 2022 तक उपेंद्र शर्मा पटना के एसएसपी थे. राज्य सरकार के अपर लोक अभियोजक आनंद मोहन प्रसाद मेहता ने बताया कि याचिकाकर्ता को 18 जुलाई, 2018 को प्रोविजनल बेल दिया था.