बिहार के चर्चित रूपेश हत्याकांड (Rupesh Hatyakand) के खुलासे पर लगातार उठते सवाल और सरकारी नौकरी और ठेके में बिहार पुलिस के चरित्र प्रमाण पत्र को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच राज्य सरकार (Bihar Govt) के दो बड़े अधिकारी मीडिया के सामने आए और अपनी बात रखी. सरकार की तरफ से गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी और डीजीपी एसके सिंघल ने संयुक्त प्रेस वार्ता करते मीडिया के हर सवालों का जवाब दिया.
इधर, पटना के एसएसपी उपेंद्र शर्मा ने आज छपरा जा कर रूपेश सिंह की पत्नी और परिजनों से मुलाकात की. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, रूपेश सिंह की पत्नी की सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे. गौरतलब है कि रूपेश सिंह की हत्या के खुलासे पर परिजनों को भरोसा नहीं हो रहा है. उन्होंने इस हत्याकांड की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आमीर सुबहानी ने कहा कि इंडिगो स्टेशन मैनेजर रूपेश कुमार सिंह हत्याकांड मामले में परिजनों की तरफ से सीबीआइ जांच कराने का कोई अनुरोध सरकार को प्राप्त नहीं हुआ है. वहीं डीजीपी ने कहा कि रूपेश हत्याकांड में पुलिस की थ्योरी स्पष्ट है. पटना एसएसपी ने इस संबंध में सब कुछ साफ कर दिया है. अब शेष बताने लायक कुछ नहीं है. जब उनसे पूछा गया कि आपने कहा था कि रूपेश की हत्या कांट्रेक्ट किलिंग से हुई है और एसएसपी ने रोड-रेज का खुलासा किया है. इस पर डीजीपी ने कहा कि उस समय कई बिंदुओं पर जांच चल रही थी. अब सबकुछ स्पष्ट हो गया है.
डीजीपी ने साफ किया कि केवल सड़क जाम ये धरना प्रदर्शन के कारण किसी को सरकारी नौकरी और ठेका नहीं मिलेगा, ऐसी बात नहीं है. कहा कि पत्र को फिर से पढ़ने की जरूरत है. उन्होंने दोहराया कि यदि कोई व्यक्ति किसी विधि-व्यवस्था की स्थिति, विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम जैसे मामलों में शामिल होकर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसे इस कार्य के लिए पुलिस द्वारा आरोपपत्रित(चार्जशीट) किया जाता है तो इस संबंध में चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन (पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट) में साफ रूप से लिया जायेगा. ऐसे व्यक्तियों को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रखना होगा और उसे सरकारी नौकरी, सरकारी ठेका आदि नहीं मिल पायेंगे.
अपर मुख्य सचिव सुबहानी ने कहा है कि लोकतंत्र में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की आजादी होती है और इसके तहत शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई है. सरकार की मंशा कहीं से भी ऐसी नहीं है कि लोकतंत्र में मिले अधिकारों का हनन किया जाए. अधिकारियों की प्रेस वार्ता के दौरान एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार ने कहा कि साल 2006 और 2020 में का प्रपत्र के अंदर कैरेक्टर सर्टिफाई करने के लिए जिन बातों का उल्लेख किया गया है उसी से जुड़ा यह तीसरा पत्र जारी किया गया इसे लेकर लोगों के बीच भ्रम पैदा हुआ.
Posted By: Utpal kant