Bihar News: बिहार की बेटी स्वीटी, कभी छोटे पैंट पहनने पर पड़ी थी डांट, आज है एशिया की सर्वश्रेष्ठ रग्बी प्लेयर
Bihar News: 'डर मुझे भी लगा फासला देखकर पर मैं बढ़ता गया रास्ता देखकर' किसी शायर की लिखी यह पंक्तियां बिहार की बेटी (Bihar Ki Beti) स्वीटी (Sweety Kumari Rugby ) पर बिल्कुल स्टीक बैठती है. ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार के एक छोटे से गांव से निकली स्वीटी महज 19 साल की उम्र में एशिया की सर्वश्रेष्ठ रग्बी खिलाड़ी है. स्वीटी भारतीय रग्बी टीम में विंगर की पोजिशन से खेलती हैं.
Bihar News: ‘डर मुझे भी लगा फासला देखकर पर मैं बढ़ती गयी रास्ता देखकर’ किसी शायर की लिखी यह पंक्तियां बिहार की बेटी (Bihar Ki Beti) स्वीटी (Sweety Kumari Rugby ) पर बिल्कुल सटीक बैठती है. ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार के एक छोटे से गांव से निकली स्वीटी महज 19 साल की उम्र में एशिया की सर्वश्रेष्ठ रग्बी खिलाड़ी है. स्वीटी भारतीय रग्बी टीम (Indian Rugby Team) में विंगर की पोजिशन से खेलती हैं. उसकी टीम के लोग स्वीटी को भारत का स्कोरिंग मशीन बुलाती हैं.
उसे बीते साल इंटरनेशनल प्लेयर ऑफ द ईयर सम्मान से नवाजा गया था. स्वीटी की कहानी लोगों में जोश भरने के लिए काफी है. बिहार की राजधानी पटना से लगभग 70 किमी दूर बाढ़ प्रखंड के नवादा गांव की रहने वाली स्वीटी ने 14 साल की उम्र से रग्बी खेलना शुरू किया. रग्बी खेलने की कहानी भी बहुत दिलचस्प है. अपने भाई को रग्बी खेलते देख वह भी खेलना चाहती थी. उसे दौड़ना बेहद पसंद था. और इसके लिए जरूरी था शार्ट्स (छोटे पैंट) पहनना.
जब वह छोटे पैंट पहनी तो उसे डांट पड़ी साथ ही आगे ऐसा ना करने की हिदायत भी दी गई. कारण ये कि एक तो गांव दूसरा गरीब परिवार. लोग क्या कहेंगे, इस सोच ने स्वीटी की राह रोकने की कोशिश की, लेकिन बुलंद इरादों वाली स्वीटी कहां रूकने वाली थी. उसने तमाम विपरीत परिस्थतियों में अपने हौसले को उड़ान दी. आज नतीजा सबके सामने है. वह न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश का नाम रौशन कर रही है. स्वीटी को एशिया रग्बी अंडर 18 गर्ल्स चैंपियनशिप भुवनेश्वर, विमेन सेवेंस ट्रॉफी ब्रुनेई और एशिया रग्बी सेवेंस ट्रॉफी जकार्ता, 2019 में बेस्ट स्कोरर और बेस्ट प्लेयर का अवार्ड सहित न जाने कितने अवॉर्ड मिल चुके हैं.
स्वीटी का परिवार
स्वीटी के पिता दिलीप चौधरी पहले किसान थे और अब एक इंश्योरेंस कंपनी में एजेंट हैं. मां आंगनबाड़ी में सेविका हैं. कुल छह भाई-बहन हैं. जिनमें स्वीटी तीसरे नंबर पर हैं. बड़ा भाई जो पहले रग्बी की प्रैक्टिस किया करता था अब पटना में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता है. बड़े भाई को देखकर ही स्वीटी ने खेल के मैदान में कदम रखा. वह पांच वर्ष की उम्र से दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लेने लगी.
रग्बी कैसे खेलने लगी?
पटना में 2014 में स्टेट एथलेटिक्स मीट में दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लेने पहुंची 14 साल की स्वीटी ने बॉल के साथ लोगों को भागते देखा. फुटबॉल तो जानती थी लेकिन यह नया खेल था. सो उसने एक शख्स से इस बारे में पूछा. जिनसे सवाल किया गया वो रग्बी बिहार के सेक्रेटरी थे. स्वीटी ने उनसे पूछा, सर ये रग्बी कौन सा खेल है. सेक्रेटरी ने जवाब दिया, वो जो अंडे जैसा बॉल दिख रहा है, बस उसी को लेकर आगे भागना है और पीछे पास करना है.
सेक्रेटरी ने बतौर एथलीट की तेजी देखकर स्वीटी को रग्बी खेलने की सलाह दी थी. फिर क्या था, स्वीटी ने ठान लिया. बड़ा भाई अपने कॉलेज के ग्राउंड में रग्बी की प्रैक्टिस करने जाता था. स्वीटी भी प्रैक्टिस में जाने लगी. मेहनत का तकाजा देखिए कि पांच साल बाद स्वीटी कुमारी को 2019 इंटरनेशनल यंग प्लेयर ऑफ द ईयर अवॉर्ड दिया गया. 2014 में रग्बी खेलना शुरू करने वाली स्वीटी पहली बार स्टेट मीट खेलने के लिए भुवनेश्वर गई थीं. 2015 में ही भारत की अंडर 15 टीम के लिए चुन ली गईं.
फिर अंडर-18 और फिर राष्ट्रीय टीम में चयन. रग्बी मैदान में कोई भी खिलाड़ी स्वीटी को कोई छू नहीं पाता. उसकी चीते सी तेजी देख बड़े बड़े रग्बी प्लेयर भी हैरान रह जाते हैं. स्वीटी आज न केवल भारत की बल्कि एशिया की पहली महिला रग्बी खिलाड़ी बन गई हैं जिन्हें ‘इंटरनेशनल यंग प्लेयर ऑफ़ द ईयर’ का अवार्ड मिला है. 2017आज उसके गांव की सारी लड़कियां स्वीटी ही बनना चाहती हैं. और हां, कोई भी लड़कियों को अब शॉर्ट्स पहनने से नहीं रोकता.
Posted By: Utpal kant