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कांग्रेस में लालू समर्थक नहीं चाहते दलित प्रदेश अध्यक्ष, सोनिया से मिले मदन मोहन झा समर्थक

कांग्रेस में राजद समर्थक पार्टी आला कमान के इस फैसले का विरोध कर रही है. वो मदन मोहन झा को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाये रखने के पक्ष में है. कहा जा रहा है कि पार्टी के कई सीनियर नेता इसको लेकर सोनिया गांधी से मिले हैं.

राजेश कुमार ओझा

कांग्रेस पार्टी बिहार में नए निजाम की खोज कर रही है. चर्चा है कि पार्टी आला कमान बिहार में किसी दलित या अल्पसंख्यक को पार्टी की कमान सौंपने का मन बनाया है. इसको लेकर पार्टी दो खेमे में बंट गई है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस में राजद समर्थक पार्टी आला कमान के इस फैसले का विरोध कर रही है. वो मदन मोहन झा को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाये रखने के पक्ष में है. कहा जा रहा है कि पार्टी के कई सीनियर नेता इसको लेकर सोनिया गांधी से मिले हैं. मदन मोहन झा की पैरवी भी किया है. मदन मोहन झा के समर्थन में राजद से कांग्रेस में आए एक राज्यसभा सदस्य भी हैं.

दलित प्रदेश अध्यक्ष का विरोध क्यों?

पार्टी के कुछ सीनियर नेता दलित और अल्पसंख्यक प्रदेश अध्यक्ष के नाम का विरोध कर रहे हैं. ये नहीं चाह रहे कि पार्टी बिहार में किसी दलित या अल्पसंख्यक को प्रदेश अध्यक्ष बनाये. जबकि बिहार में दलित और अल्पसंख्य कांग्रेस के परंपरागत वोटर रहे हैं. 1990 के बाद ये कांग्रेस का साथ जरुर छोड़ा लेकिन, इनका कांग्रेस से मोहभंग नहीं हुआ. अभी भी भाजपा की जगह यह वर्ग कांग्रेस के साथ खड़ा दिखता है. बिहार विधान परिषद चुनाव में इसकी एक बानगी भी दिखी. इसके बाद से ही कांग्रेस अपने नए समीकरण पर काम करना शुरु कर दी है. लेकिन कांग्रेस के कुछ नेता का कहना है कि जिस तरीके से बिहार में जातीय समीकरण और राजनीतिक परिदृष्‍य में बदलाव हो रहा है उसे देखते हुए बिहार प्रदेश अध्‍यक्ष की कुर्सी मजबूत सवर्ण नेता के हाथ में सौंपी जाए. दूसरी पार्टियां अब मुसलिम यादव के समीकरण से बाहर निकल सवर्ण कैंडिडेट पर केंद्रित हो रहा है. जनता भी अब दलितों की ज्‍यादा सवर्णों पर ही भरोसा कर रही है.

इधर, सूत्रों का कहना है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद भी कांग्रेस के इस फैसले से खुश नहीं हैं. पार्टी सूत्रों का कहना है कि लालू प्रसाद को भी बिहार में दलित या अल्पसंख्यक वर्ग के कांग्रेस नेता को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठना पसंद नहीं . यही कारण है कि कांग्रेस में लालू प्रसाद के समर्थक नेताओं ने पार्टी आला कमान के फैसले पर सवाल खड़ा किया है. वे मदन मोहन झा को या फिर किसी सवर्ण को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं. जबकि कांग्रेस का एक खेमा का कहना है कि लालू प्रसाद ने सबसे पहले गटबंधन के धर्म को तोड़ते हुए विधान परिषद चुनाव में सवर्ण वोटरों के बीच सेंघमारी किया. तो फिर जब कांग्रेस अब दलित या अल्पसंख्यक को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाह रहा है तो राजद को क्यों परेशानी हो रही है.

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