पटना. बिहार में लॉकडाउन तो खत्म हो चुका है और सबकुछ खोल दिया है, लेकिन दुर्गा पूजा को लेकर प्रशासन ने नये गाइड लाइन जारी किये हैं. पटना जिला प्रशासन की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार इस साल दुर्गा पूजा के मौके पर किसी प्रकार का सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं होगा. इतना ही नहीं इस साल रावण दहन का आयोजन भी नहीं हो पायेगा. न ही दुर्गा की प्रतिमा को गंगा में प्रवाहित करने की अनुमति दी जायेगी.
कहा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस प्रकार की पाबंदियां लगायी हैं. ऐसे में इस साल श्रद्धालु पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा का दर्शन तो कर सकेंगे, लेकिन मेले का लुत्फ नहीं उठा सकेंगे. पूजा समितियों को डीजे बजाने और डांडिया के आयोजन करने पर रोक लगा दी गयी है. रावण वध कार्यक्रम का आयोजन भी पटना जिले में नहीं होगा. मालूम हो कि पटना में आजादी से पहले रावण दहन का कोई कार्यक्रम नहीं होता था.
पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने लोगों से शांतिपूर्ण तरीके से नवरात्र की पूजा आरधना करने की अपील की है. डीएम ने बताया कि ज्यादातर अधिकारियों का सुझाव था कि कोरोना वायरस का खतरा अभी टला नहीं है, इसलिए दशहरा पर मेले के आयोजन की अनुमति नहीं दी जाए, क्योंकि मेले में भीड़ हो जाती है. ऐसी स्थिति में संक्रमण बढ़ सकता है.
उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा के मौके पर बड़े पैमाने पर पटना में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, इस बार वो भी नहीं होंगे. डीएम ने कहा कि पंडालों में लाउडस्पीकर तो बजेंगे लेकिन अधिक डेसीबल वाले नहीं होंगे. इसके लिए पूजा समितियों को अनुमति लेनी होगी.
दशहरा के आयोजन पर डीएम ने कहा कि रावण वध एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम होता है. इस बार इसकी सार्वजनिक आयोजन की अनुमति नहीं दी जायेगी. कालिदास रंगालय में रावण वध कार्यक्रम छोटे पैमाने पर होगा, जिसकी लाइव वेबकास्टिंग होगी. इसके अलावा जिले में कहीं भी रावण वध कार्यक्रम नहीं होगा. आतिशबाजी पर भी रोक रहेगी.
डीएम ने कहा कि पूजा समिति के पदाधिकारियों को सभी नियमों का अनुपालन करना होगा. 10 अक्टूबर के पहले सभी पूजा समितियों के पंडालों का सत्यापन कर लाइसेंस निर्गत करने का निर्देश दिया गया है.
डीएम ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार नदियों में मूर्ति के विसर्जन पर रोक लगा दी है. इसके लिए जिलाधिकारी ने नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि मूर्ति विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाब बना दें ताकि पूजा समिति के लोग सुविधाजनक तरीके से विसर्जन कर सकें.
Posted by Ashish Jha