17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Rehabilitation center में मौतः 24 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली, बाप ने कहा इंसाफ के लिए कुछ भी करूंगा..

मैं अपने बेटे से अस्पताल में मिलने का कई बार प्रयास किया. लेकिन डॉक्टर मुझे उससे मिलने नहीं दिया करते थे.

Rehabilitation center डिप्टी कलेक्टर सूरज कुमार सिन्हा के बेटे की संदिग्ध हालात में मौत के 24 घंटे से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी पुलिस के हाथ ऐसा कोई सुराग हाथ नहीं लगा है जिससे यह पता चले कि डिप्टी कलेक्टर सूरज कुमार सिन्हा के बेटे आयुष के साथ मारपीट किया गया हो. लेकिन, आयुष के शरीर में जो चोट के निशान और जख्म कहां से आए? इस सवाल पर पुलिस कुछ भी बोलने से इंकार करते हुए कहती है कि इसकी जांच कर रही है. नाम नहीं छापने की शर्त पर फुलवारीशरीफ थाना के एक पदाधिकारी ने कहा कि टीम आज मानस नशा मुक्ति केंद्र (अस्पताल) गई थी. वहां जो सीसीटीवी कैमरा लगा हैं उसमें आयुष के साथ मारपीट का कोई भी वीडियो नहीं दिखा. इसलिए अभी तक के जांच में अस्पताल प्रबंधन को दोषी नहीं माना जा सकता है. यह पूछने पर क्या आपने डीवीआर की जांच किया. पुलिस कुछ भी बोलने से इंकार करती है.

पटना के नशा मुक्ति केंद्र पर FIR

डिप्टी कलेक्टर सूरज कुमार सिन्हा ने मानस नशा मुक्ति केंद्र (अस्पताल) प्रबंधन पर हत्या का आरोप लगाया है. सूरज कुमार सिन्हा ने अपने बेटे की संदिग्ध हालात में मौत के बाद मानस नशा मुक्ति केंद्र (अस्पताल) पर अपने बेटे की हत्या की साजिश करने का गंभीर आरोप लगाते हुए संस्थान के संचालक डॉ संतोष कुमार और अस्पताल के स्टाफ सुजीत पर फुलवारी शरीफ थाने में मामला (FIR) दर्ज कराया है.

सूरज कुमार सिन्हा ने प्रभात खबर के साथ बातचीत में बताया कि आयुष कुमार (16 वर्ष) कुछ दिनों पहले छुट्टी में घर आया था. कुछ लड़कों की कुसंगती के कारण उसे नशे की लत लग गई थी. हमने इससे निजात दिलाने के लिए आयुष (मृतक) को फुलवारी शरीफ स्थित नशा मुक्ति केंद्र अस्पताल में भर्ती करवाया था. मैं अपने बेटे से अस्पताल में मिलने का कई बार प्रयास किया. लेकिन डॉक्टर मुझे उससे मिलने नहीं दिया गया. इसपर मुझे शंका हुआ और डॉक्टरों के विरोध के बाद भी जब अपने बेटे से मिला तो उसने मानस नशा मुक्ति केंद्र के कर्मचारियों की उपस्थिति में कहा कि मेरे साथ यहां पर मारपीट किया जाता है.

इसकी मैंने डॉ सुमन कुमार से शिकायत भी किया था. उन्होंने मुझे भरोसा दिलाया था कि अब ऐसा नहीं होगा. लेकिन, उसके बाद जो हुआ उससे तो मेरा पूरा घर ही उजर गया. लेकिन, मैं अपने बेटे की आकस्मिक मौत पर शांत नहीं रहने वाला हूं. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मैं किसी भी हद तक जाकर अपने बेटे को इंसाफ दिलाऊंगा,चाहे इसके लिए मुझे अपनी पूरी जमीन-जायदाद क्यों न बेचनी पड़े.

डीवीआर अस्पताल प्रबंधन के पास

आयुष के पिता का कहना है कि पुलिस को सबसे पहले डीवीआर को अपने कब्जे में ले लेना चाहिए. लेकिन पुलिस अभी तक उसे अपने कब्जे में नहीं ली है. मुझे आशंका है कि अस्पताल प्रबंधन कैमरे के साथ छेड़छाड़ कर साक्ष्य को मिटा दे. अस्पताल प्रबंधन ऐसा कोई काम करे इससे पहले पुलिस को डीवीआर को अपने कब्जे में ले लेना चाहिए. डीवीआर कब्जे में आने के बाद ही सारी स्थिति का पता चल पायेगा कि कैमरे को कितनी बार ऑन और ऑफ किया गया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें