Bihar news: बिहार के जहानाबाद जिले में शनिवार को लोक अदालत का आयोजन किया गया था. इस दौरान अदालत में कुछ ऐसा नजारा देखने को मिला. जिसके बाद आपकी तबियत खुश हो जाएगी. दरअसल, जज राकेश कुमार सिंह बैंक के कर्ज के एक मामले की सुनवाई कर रहे थे. बैंक से कर्ज लेकर पैसे नहीं चुकाने का आरोप एक गरीब ब्राह्मण पर था. जब जज साहब मामले की सुनवाई कर रहे थे. तो गरीब ब्राह्मण ने कहा कि- साहेब, बेटी के शादी के बाद से कर्ज में डूबा हुआ है. किसी तरह जीवन का गुजर-बसर कर रहे है. इतने पैसे नहीं हैं कि बैंक वालों का कर्ज चुका सकूं. यह कहते हुए गरीब ब्राह्मण फफक-फफक कर रोने लगा. इसके बाद जज साहब का दिल पसीज गया.
रोते हुए ब्राह्मण की पूरी बात जज राकेश कुमार ने पूरी तसल्ली के साथ सुनी. उसके बाद जज राकेश कुमार ने बैंक के अधिकारियों से कहा कि इस बुजुर्ग का कर्ज मैं अपनी जेब से दे रहा हूं. इसके बाद जज साहब ने अपने जेब से 10 हजार 600 रुपये निकाले और बैंक अधिकारियों को सौंप दिया. जज के द्वारा किसी का कर्ज चुकाते बैंक अधिकारी भी हैरत में पड़ गये. बता दें कि बुजुर्ग के ऊपर कुल 18 हजार 600 रुपये का कर्ज था. लेकिन बुजुर्ग के पास 8 हजार रुपये था. बाकी के पैसे नहीं होने कि स्थिति में जज साहब ने बैंक का पूरा पैसा चुका कर मामले को रफा-दफा कर दिया. जैसे ही इस बात की जानकारी अदालत परिसर में मौजूद लोगों को लगा, पूरे न्यायालय परिसर में जज साहब की प्रशंसा होनी शुरू हो गई. अब लोग जज साहेब की दरियादिली की जमकर सरहना कर रहे हैं.
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जानकारी के मुताबिक बुजुर्ग ब्राह्मण का नाम राजेंद्र तिवारी है. उन्होंने 18 साल पहले अपनी बेटी की शादी में बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण लिया था. ऋण नहीं चुकाने कि स्थिति में बैंक की ओर से बार-बार बुजुर्ग को नोटिस भेजा जा रहा था. बैंक अधिकारियों के मुताबिक बुजुर्ग पर लोन की राशि ब्याज सहित बढ़कर 36 हजार 775 रुपए हो गए थे. इसके पहले भी बुजुर्ग को लोन चुकाने के लिए कई बार नोटिस भेजा गया था. लोन नहीं चुकाने पर लोक अदालत में केस पहुंचा था.
बता दें कि इससे पहले बुजुर्ग की गरीबी और स्वास्थ्य को देखते हुए बैंक ने भी ब्याज को माफ कर दिया था. जिसके बाद बुजुर्ग को 18 हजार 600 जमा करने थे. लेकिन बुजुर्ग के पास पांच हजार रुपए ही थे. इस पर लोक अदालत में मौजूद उनके गांव के एक युवक ने 3 हजार रुपए की मदद की. बुजुर्ग ने जज को बताया कि मेरे पास अब आठ हजार रुपये हैं. ये रुपया भी चंदा से जमा किया गया है. बुजुर्ग की हालत देखकर जिला जज राकेश सिंह ने अपने पास से बाकी के 10 हजार 600 नकद देकर बुजुर्ग राजेंद्र तिवारी को कर्ज से मुक्त करा दिया.
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जिला जज के इस कदम की अब न्यायालय परिसर में जमकर प्रशंसा हो रही है. बड़ी संख्या में पहुंचे वकीलों ने भी जज के इस कदम की सराहना की और उन्हें बधाई दी. वहीं, बुजुर्ग राजेंद्र तिवारी ने कहा कि हमने बेटी की शादी के लिए कर्जा लिया था. 18 हजार रुपये बाकी था. आज जज साहब ने मेरी मदद की तो कर्जा चुक गया.