Bihar News: बिहार सरकार के द्वारा शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे है. BPSC शिक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन कर शिक्षकों की भर्ती ले रही है. योग्य शिक्षकों की बहाली हो रही है. इसका कारण यह है कि बिहार की सरकारी शिक्षा व्यवस्था को नई उमंग मिल सके. इधर, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक अपने शख्त अंदाज के लिए जाने जाते हैं. शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने में दिन- रात एक किए जा रहे है. चाहे शिक्षा विभाग के द्वारा छुट्टियों के कटौती हो रही है. इसके अलावा शिक्षको को समय पर स्कूल पहुंचकर स्कूल का संचालन कर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की कोशिश लगातार जारी है.
दरभंगा जिला के किरतपुर प्रखंड की रसियारी पंचायत के सिरसिया गांव स्थित एक प्राथमिक विद्यालय है. यहां बच्चो के स्कूल में पढ़ने के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. इस विद्यालय के शिक्षक सड़क पर पोलोथिन टांगकर पढ़ाते है. विद्यालय का भवन और जमीन नहीं है. यह कारण है कि कक्षा एक से पांच तक कि 174 नामांकित बच्चों की पढ़ाई सड़क पर ही संचालित हो रही है. इसमें 98 लड़के और 76 लड़कियां है. जमीन व भवन के अभाव में स्कूल का मिड डे मील पशु खटाल में बनता है. साथ ही सड़क के दोनों किनारे बच्चे बैठक खुले आसमान के नीचे भोजन करते है. इसके अलावा स्कूल के शिक्षिका और छात्राएं खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं.
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बिहार लोक सेवा आयोग से यहां शिक्षक का चयन हुआ है. शिक्षक विशाल कुमार बताते है कि ऐसी खराब स्थिति को कल्पना नहीं थी. लेकिन, अब जो है औत जितना मिला है, उसी को सुचारू ढंग से जलने का प्रयास हम लोगों को द्वारा किया जा रहा है. वहीं, उन्होंने बताया कि यहां पर रिसोर्स की बहुत कमी है. जो साधन है उसमें ही हम लोगों को पढ़ाई पूरी करनी पड़ेगी. ऐसी स्थिति में बच्चों को एक जगह एकत्रित कर बैठना मुश्किल हो जाता है. कई बार बच्चे शौच का बहाना बना कर पीछे से चले जाते है. स्कूल को बेहतरीन बनाने के लिए हमारे स्कूल के प्राचार्य के द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है. उम्मीद है कि बहुत जल्द स्कूल को भवन और सारी सुख सुविधा उपलब्ध होगी.
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वहीं, पांचवी कक्षा की छात्रा अंजनी कुमारी ने बड़े ही उदास मन से बताया कि स्कूल की जमीन नहीं होने के कारण हम लोगों को इस प्रकार की स्थिति में पढ़ाई लिखाई करना पड़ता है. स्कूल में भवन हो इसको लेकर हम लोगों ने कई बार अपने प्रिंसिपल से कही है. लेकिन, अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकला है, जिसके चलते हम लोगों को गर्मी बरसात और ठंडा में संघर्ष करना पड़ता है. वहीं, स्कूल के द्वारा दिए जा रहे मिड डे मिल भी हम लोग सड़क के किनारे बैठकर खाते हैं. शौच करने की सवाल पर नजर झुका कर कहा कि इसके लिए खेतो की ओर खुले में ही जाना पड़ता है.
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वहीं, विद्यालय के प्रधानाध्यापक विद्यानंद प्रसाद ने बताया कि स्कूल के सफल संचालन के लिए 5 शिक्षक है. जिसमे से 2 महिला और 3 पुरुष शिक्षक है. जिसमें बिहार लोक सेवा आयोग से चयानित दो और नियोजन से 3 शिक्षक कार्यरत है. यहां स्कूल को जमीन देने के लिए दाता लगभग 3 साल से तैयार है. लेकिन, विभाग की लापरवाही की वजह से अंचलाधिकारी एनओसी नहीं दे रहे है. यहां के लोगो को कोई समस्या नहीं है. हमलोग ने लिख कर विभाग को दिया है. लेकिन, कुछ नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया कि शौच के लिए निजी स्तर पर व्यवस्था करने का प्रयास कई बार किया गया. लेकिन, नहीं हो पाने की स्थिति में सभी को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. उन्होंने बताया की व्यस्था सुधार की ओर विभाग अभी तक कुछ नहीं किया गया है. इस स्कूल को जमीन दान देने वाले ग्रामीण पुलेश्वर पांडे ने बताया कि प्रशासनिक स्तर से इसमें कमी है. हमलोग तो लगभग 6 महीना पहले लिख कर दिए की ये जमीन हम विद्यालय के लिए दान में दे रहे हैं. सीओ साहब को भी लिख कर दिए कि आप अपने स्तर से जो करवाई होती है वो करवाई कर लीजिए और इसका एनओसी कर दीजिए ताकि मनरेगा से इसका भराई शुरू हो जाएगा और स्थल विकास होने के बाद हमारा विद्यालय वहा बन जाएगा. अब उन्हीं लोगों के स्तर से देर है.
बता दे कि इस स्कूल की स्थापना 2011 में की गई थी. इसके बाद 2014 तक इसी स्थिति में स्कूल संचालित होता रहा. जिसके बाद 2018 तक बगल के ही कठार प्राथमिक विद्यालय में विभाग के आदेश पर शिफ्ट कर दिया गया और पुनः 2018 से विद्यालय इसी स्थिति में संचालित हो रही है. बच्चे अधिकतम व न्यूनतम तापमान में भी बांस व बल्ले पर पॉलीथिन डाल कर सड़क पर दिया गया. स्कूल भवन के शक्ल में बोरा पर बैठते हैं और शौच के लिए खुले आसमान के नीचे खेतों में जाना पड़ता है. जिले में कुल 2505 स्कूलों की संख्या है. जिसमें 1418 प्राथमिक स्कूल है, 741 मिडिल स्कूल, 346 हाई स्कूल है.
(दरभंगा से सूरज कुमार की रिपोर्ट.)