बिहार के स्कूलों में मिड डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या में आई कमी, लाखों बच्चे घटे, जानिए कारण
Bihar News: बिहार में स्कूलों में मिड डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या में भारी कमी आई है. लाखों बच्चे घट गए है. मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय में जिलों से प्राप्त रिपोर्ट में यह जानकारी प्राप्त हुई है.
Bihar News: बिहार में स्कूलों में मिड डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या में भारी कमी देखने को मिली है. लाखों बच्चे घट गए है. मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय में जिलों से मिली रिपोर्ट में यह जानकारी प्राप्त हुई है. बताया जाता है कि स्कूलों में मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चों की संख्या में 11 लाख से अधिक की कमी आई है. जानकारी के अनुसार हर महीने औसतन राजाना 82 लाख बच्चों की रिपोर्ट सामने आती है. अक्टूबर के महीने में यह आंकड़ा 69.72 लाख हो गया. बताया जाता है कि दूसरे महीनों में यह संख्या 81 से 82 लाख की हुआ करती थी. लेकिन, अभी इसमें बड़ा अंतर देखने को मिला है. मिड डे मील योजना निदेशालय में राजाना जिलों से रिपोर्ट भेजी जारी है. आईवीआरएस के जरिए बच्चों की संख्या ली जाती है. स्कूलों के प्राचार्य अपने मोबाइल फोन के माध्यम से ही आसानी से निदेशालय में बच्चों की संख्या से जुड़ी जानकारी को साझा कर देते है. इसी के आधार पर ही पूरे महीने मिड डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या निर्धारित हो जाती है.
प्रतिदिन भेजी जाती है हजारों स्कूलों की रिपोर्ट
वहीं, प्रतिदिन 55 से 56 हजार स्कूलों की ओर से रिपोर्ट भेजी जाती है. शेष बचे स्कूलों की रिपोर्ट अलग- अलग कारणों से नहीं आ पाती है. फिलहाल, इस बात की जानकारी सामने आई है कि मिड डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या में कमी आई है. करीब 11 लाख बच्चे घट गए है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि राज्य में अलग- अलग स्कूलों के कई बच्चों के नाम स्कूलों से काटे गए है. इस कारण मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चों की संख्या में भी कमी देखने को मिली है. शिक्षा विभाग के आदेश के बाद 15 दिनों तक लगातार स्कूल नहीं आने वाले बच्चों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और सख्ती दिखाते हुए इनके नाम स्कूलों से काट दिए गए है.
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करीब 20 लाख बच्चों के नाम स्कूलों से कटे
राज्य में बच्चों की शिक्षा पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है. सरकार की ओर से बच्चों की शिक्षा को सुधारने के लिए कई कदम उठाए जा रहे है. शिक्षा विभाग की ओर से कई फैसले लगातार लिए जा रहे है. इसी कड़ी में राज्य के अलग- असल स्कूलों से लाखों बच्चों के नाम काट दिए गए. बताया जाता है कि सरकारी स्कूलों से 20 लाख से अधिक बच्चों के नाम को काट दिया गया है. यह बच्चे स्कूल में 15 से अधिक दिनो से अनुपस्थित थे. यही कारण है कि इनका नाम काटा गया है. शिक्षा विभाग के इस एक्शन के बाद हड़कंप मच गया है. नाम काटने वाले बच्चों में दो लाख से अधिक बच्चे 9वीं से 12वीं कक्षा के शामिल हैं. स्कूल आने में अनियमितता बरतने के कारण बच्चों के नाम स्कूलों से काटे गए है.
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15 दिनों से अधिक समय से गायब बच्चों के खिलाफ कार्रवाई
नौवीं से 12वीं की कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के नाम बड़ी सख्या में काटे गए है. 15 दिनों से अधिक समय से गायब बच्चों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. वहीं, जो बच्चे बोर्ड की परीक्षा देने वाले है, उन्हें अपने परिजनों के एक हलफनामे के साथ आना होगा. इस हलफनामे में ऐसा लिखा गया है कि बच्चों की ओर से ऐसी गलती दोबारा नहीं होना चाहिए. शिक्षा विभाग की ओर से कई तरह के एक्शन लिए जा रहे है. सरकारी स्कूल से बच्चों के नाम कटने के बाद अब नए तरह के फैसले लिए जा सकते है. इधर, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सरकारी स्कूलों से बच्चों के नाम कटने पर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि शिक्षा विभाग की ओर से लाखों की संख्या में छात्र- छात्राओं का नाम काटा जा रहा है. कुछ अधिकारी इस काम को लेकर गौरान्वित हो रहे है, लेकिन यह किसी भी तरीके से सही नहीं है. बच्चे किस कारण से स्कूल नहीं आते है, इस बात को समझने की जरुरत है. नियमित स्कूल नहीं आने वाले बच्चों के अभिभावकों से बातचीत करनी चाहिए.