भागलपुर: सरकारी स्कूलों में अकादमिक सत्र की आधी अवधि बीत गयी और आज भी दो लाख एक हजार 54 छात्र-छात्राओं के पास किताबें नहीं हैं. वे बिना किताबों के स्कूल जाते हैं और फिर घर आ जाते हैं. इस बीच वे पढ़ाई कितनी कर पा रहे हैं, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. इस बात की कोई उम्मीद भी नहीं है कि इस सत्र में छात्र-छात्राओं को किताब उपलब्ध कराने में शिक्षा विभाग कोई दमदार पहल करेगा. प्रभात खबर ने जब इसकी वजह की पड़ताल की, तो कई लापरवाहियां शिक्षा विभाग व अभिभावकों की पता चली.
बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक पब्लिशिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड ने भागलपुर के लिए 17 वेंडरों (मुद्रकों) का चयन किया था. इनमें सिर्फ एक मुद्रक ही भागलपुर आया और किताबों की बिक्री कर रहा है. बाकी मुद्रकों के नहीं आने की वजह यह बतायी जा रही है कि किसी भी मुद्रक के पास फुल सेट किताब नहीं है, जबकि छात्र एक साथ सभी विषय की किताब खरीदना पसंद करते हैं. इन समस्याओं का निदान नहीं किया जा रहा है और न ही मुद्रक पर कोई कार्रवाई की जा रही है.
शिक्षा विभाग ने जिले की कुछ दुकानों पर सरकारी किताबें उपलब्ध करायी है. लेकिन अभिभावक उन दुकानों पर किताब खरीदने नहीं जा रहे हैं. इसकी कई वजहें हैं. एक तो अभिभावक इसे लेकर जागरूक नहीं हैं और यह समझ रहे हैं कि शिक्षा विभाग स्कूलों में किताब पहुंचा ही देगा. दूसरी वजह यह है कि जिन दुकानों में सरकारी किताब उपलब्ध है, उनका पता और सूची की अभिभावकों को जानकारी नहीं दी गयी है.
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बच्चों के हाथों में किताबों की स्थिति पहली से पांचवीं तक के बच्चे : 234641
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छठी से आठवीं तक के बच्चे : 167788
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नयी पुस्तक प्राप्त कर चुके बच्चे : 105461
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इतने बच्चों के पास पुरानी पुस्तकें : 70262
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इतने बच्चों के पास नयी-पुरानी पुस्तकें : 25652
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इतने बच्चों के पास किताबें नहीं : 201054