प्रवीण कुमार चौधरी, दरभंगा. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय की पिछली सीनेट की बैठक में सदस्यों द्वारा रखे गए विचारों/ प्रस्तावों/ सुझावों/ प्रश्नों की समेकित समीक्षा कर क्रियान्वयन के लिए गठित सीनेट की पांच सदस्यीय समिति ने अपना प्रतिवेदन जमा कर दिया है. समिति में उप कुलसचिव प्रथम निशिकांत प्रसाद सिंह संयोजक तथा डॉ विनोदानंद झा, विमलेश कुमार, सुनील भारती, डॉ श्रीपति त्रिपाठी बतौर सदस्य हैं.
समिति ने वैसे तो कई बिंदुओं के क्रियान्वयन को लेकर प्रतिवेदन दिया है, पर सबसे महत्वपूर्ण बिंदु 138 साल पुराने लक्ष्मी विलास पैलेस (संस्कृत विश्वविद्यालय मुख्यालय भवन) के जीर्णोद्धार में आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड के संवेदक द्वारा बरती गई अनियमितता है. इस बाबत डॉ सुरेश प्रसाद राय ने शिकायत की थी. कहा था कि विश्वविद्यालय की पुरानी लकड़ी का संवेदक द्वारा उपयोग कर लिया गया. संवेदक द्वारा बिजली का उपयोग करने के एवज में प्रतिमाह 15 हजार रुपये दिया जाना था, जो नहीं दिया गया. जीर्णोद्धार में मकराना के बदले दोयम दर्जे के मार्बल का उपयोग करना, ऐतिहासिक दरवाजे की किवाड़ को काटकर छोटा करना, विश्वविद्यालय के कार्यपालक अभियंता द्वारा बिना डीपीआर देखे ही संवेदक को अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जाना आदि शामिल था.
समिति ने जांच में पाया कि विश्वविद्यालय के अभियंत्रण शाखा द्वारा मरम्मत के लिए ई-जीर्णोद्धार के एस्टीमेट से संबंधित जो कागजात जमा किये गये, वह किसी सक्षम अधिकारी द्वारा अभिप्रमाणित नहीं है. एस्टीमेट पूरी तरह स्पष्ट भी नहीं है. ऐसी स्थिति में इसके आधार पर कार्य की गुणवत्ता का आकलन संभव नहीं है. अहस्ताक्षरित एस्टीमेट को वापस करते हुए प्रमाणिक एस्टीमेट उपलब्ध नहीं कराने पर समिति ने आपत्ति जताई है. समिति ने राज्य सरकार/राजभवन से उच्चस्तरीय तकनीकी जांच समिति से जीर्णोद्धार कार्य की गुणवत्ता की जांच कराये जाने की संस्तुति की है. साथ ही कहा है कि जबतक जांच नहीं करा ली जाती है, तबतक संवेदक को न तो अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जाए और न ही भवन का हस्तानांतरण किया जाए.
मुख्य भवन की पूर्व की स्थिति की विश्वविद्यालय द्वारा कराई गई वीडियोग्राफी की भवन की वर्तमान स्थिति से मिलान कर अगली कार्यवाही की जाए. स्थल निरीक्षण में समिति ने प्रथम दृष्टया जीर्णोद्धार का कार्य संतोषजनक नहीं पाया. कार्य आधा-अधूरा पाया गया है. समिति ने कहा है कि विश्वविद्यालय के कार्यपालक अभियंता द्वारा बिना प्रमाणिक स्टीमेट के ही अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जाना घोर आपत्तिजनक है.