Explainer: मौसमी बीमारियों के मरीजों में बढ़ोतरी, बेगूसराय में डायरिया से बच्चे की मौत, जानें बचाव के उपाय

‍Bihar News: बिहार में मौसमी बिमारियों के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. बारिश के बाद उमस गर्मी ने लोगों को परेशान किया. इस कारण अस्पतालों में डायरिया, बुखार, पेट दर्द, सिर दर्द, पेट में संक्रमण आदि के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में इन बीमारियों से बचाव करना बेहद जरूरी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2023 10:53 AM
an image

‍Bihar News: बिहार में मौसमी बिमारियों के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. बारिश के बाद उमस गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया है. इस कारण अस्पतालों में डायरिया, बुखार, पेट दर्द, सिर दर्द, पेट में संक्रमण आदि के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई हैं. ऐसे मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. पटना के बड़े अस्पतालों एनएमसीएच, आईजाआईएमएस, पीएमसीएच आदि अस्पतालों की ओपीडी में लगातार मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही हैं. बताया जा रहा है कि सौ में से औसतन 40 मरीज मौसमी बिमारियों के हैं.

बीमारियों के दवाओं का भंडारण रखने का आदेश

उल्टी, दस्त, डायरिया, पेट दर्द आदि से पीड़ित होकर 40 प्रतिशत मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं. पेट दर्द, आंखों में संक्रमण के मरीज भी अधिक आ रहे हैं. राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने बीमारियों के बचाव को लेकर सभी जिलों को पत्र लिखा है. इसके अलावा जिलों से मिली रिपोर्ट के आधार पर राज्य स्वास्थ्य समिति ने संबंधित बीमारियों के दवाओं का भंडारण रखने का आदेश सिविल सर्जन को दिया है. बता दें कि एनएमसीएच, आईजाआईएमएस, पीएमसीएच आदि अस्पतालों के अलावा निजी क्लीनीक में भी मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है.

Also Read: बिहार के सरकारी स्कूलों के खाते में 1400 करोड़, लेकिन विकास पर खर्च नहीं, केके पाठक ने डीएम को लिखा पत्र
25-30 मरीज हर रोज पहुंच रहे अस्पताल

पीएमसीएच के ओपीडी में 100 में से 25 से 30 मरीज मौसमी बीमारियों से पीड़ित हैं. मौसमी बीमारियों से पीड़ित करीब 30 मरीज रोज अस्पताल पहुंच रहे हैं. बच्चों में भी उल्टी दस्त के साथ बुखार की समस्या बढ़ रही है. चिकित्सक बताते है कि खान पान में लापरवाही डायरिया का प्रमुख कारण है. ऐसे में खान पान पर विशेष रुप से ध्यान देने की आवश्यकता है. बच्चों को ऐसा होने पर ओआरएस का घोल देना चाहिए. साथ ही तत्काल बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए. वहीं, बाहर का खाना, कटा हुआ फल, गंदा पानी और खाने की असंतुलित मात्रा भी डायरिया को बढ़ावा दे सकती है. ऐसे मौसम में लोगों की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. कार्बाइड का पका हुआ आम भी लोगों को बीमार बना रहा है. बाजार के खानों से बचना चाहिए. घर में ओआरएस का घोल रखना चाहिए और हाथ की साबुन से सफाई भी जरुरी है.

Also Read: बिहार बोर्ड की लापरवाही से बर्बाद हुए छात्रा के दो वर्ष, पटना हाईकोर्ट ने लगाया दो लाख का जुर्माना

मौसमी बीमारी के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी का बड़ा कारण बासी खाना, पका हुआ आम और उमस भरी गर्मी है. बता दें कि गर्मी से परेशान स्कूली बच्चे बीमार हो रहे हैं. सबसे अधिक उत्तर बिहार में डायरिया के मरीज देखने को मिल रहे हैं. इधर बेगूसराय में डायरिया से एक बच्चे की मौत की खबर सामने आई है. कई जिलों में मरीजों को आंखों में संक्रमण की शिकायत सामने आ रही है. नवादा में प्रतिदिन एक हजार से अधिक मरीज पहुंच रहे है. इनमें सौ से मरीज मौसमी बीमारी से पीड़ित हैं.

बीमारी से ऐसे बरतें सावधानी

गर्मी के साथ बीमारियों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है. डायरिया के कारण की बात करें तो गंदे पानी का सेवन, प्रदूषित खाद्य पदार्थ का सेवन, गंदगी के बीच रहन-सहन, अंतड़ियों में अधिक द्रव का जमा होना, अतड़ियों में मल का तेजी से गुजरना इसके कारण हो सकते हैं. इससे सावधानी बरतने के लिए शुद्ध पानी पीएं, पानी को उबालकर पीना उत्तम रहेगा, हमेशा ताजा और गर्म खाना खाएं, साफ-सुधरे माहौल में रहें, बाजार के खाद्य पदार्थो का कम से कम सेवन करें, और सड़े-गले या कटे हुए फलों का इस्तेमाल कभी नहीं करें.

Also Read: भागलपुर में शूटआउट, अपराधियों ने जमीन कारोबारी को दौड़ा कर मारी छह गोलियां

इस मौसम में लोगों को सफाई और शुद्ध भोजन-पानी पर ध्यान देने की जरूरत है. वहीं, पेट में संक्रमण से बचने के लिए विषाक्त भोजन, दूषित जल, बाहरी पानी-पूरी या गन्ने का जूस पीने से बचना चाहिए. क्योंकि, यह पेट में संक्रमण का कारण बन सकता है. भोजन से पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह से साफ करना करना बेहद जरुरी है. मधुमेह, कैंसर या किडनी आदि बीमारियों से जूझ रहे लोगों में इम्युनिटी की पहले ही कमी हो जाती है. ऐसे लोगों को नियमित तौर पर दवा लेनी चाहिए. साथ ही खानपान का विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए. कई बीमारियों का टीका लिया जाता है. ऐसे में उसका टीका लेना जरुरी होता है. बुखार चार-पांच दिन से ज्यादा रहने पर टाइफाइड का खतरा रहता है. इसलिए बुखार का तुरंत उपचार जरुरी है. सिरदर्द, बुखार या ठंड लग रही है, तो सिर्फ पैरासिटामोल की ही गोली का सेवन करें. वहीं, एक दो दिन तक बुखार नहीं उतरने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.

धूप से आकर तुरंत नहीं नहाए

बता दें कि मौसम के गर्म होते ही सर्दी पैदा करने वाले वायरस भी गर्मी के तरफ शिफ्ट होते हैं. एंटरोवायरस भी इन्हीं में से एक है. यही वह वायरस है जो गर्मी में सर्दी का कारण है. सिर्फ इतना ही नहीं यह सांस की नलियों में इंफेक्शन का कारण भी होता है. इसके कारण ही हमारी नाक बहने लगती है. गले में खराश और इसके अलावा में पेट से जुड़ी दिक्कतें भी सामने आने लगती है. बता दें कि मौसम के गर्म होते ही सर्दी पैदा करने वाले वायरस भी गर्मी के तरफ शिफ्ट होते हैं. एंटरोवायरस भी इन्हीं में से एक है. यही वह वायरस है जो गर्मी में सर्दी का कारण है. सिर्फ इतना ही नहीं यह सांस की नलियों में इंफेक्शन का कारण भी होता है. इसके कारण ही हमारी नाक बहने लगती है. गले में खराश और इसके अलावा में पेट से जुड़ी दिक्कतें भी सामने आने लगती है. धूप से आकर तुरंत नहाना भी नहीं चाहिए. ऐसा करने पर सर्दी और खांसी की समस्या हो सकती है. धूम में निकलने पर सिर ढककर ही निकलना चाहिए. लगातार पानी का सेवन करने से डिहाइड्रेशन का शिकार होने से बचा जा सकता है.

Exit mobile version