बिहार में परंपरागत विश्वविद्यालय से आगे प्रौद्योगिकी संस्थान, अब केंद्र सरकार भी इस क्षेत्र में करेगी मदद
Bihar News: बिहार राज्य को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शोध के क्षेत्र में एक नयी सौगात मिली है. केन्द्र सरकार की नयी पहल 'साथी केन्द्र' को बिहार में स्थापित किया गया है. इसके स्थापित होने से विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर आधारित नावाचार के काफी बढ़ावा मिलेगा.
Bihar News: बिहार राज्य को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शोध के क्षेत्र में एक नयी सौगात मिली है. केन्द्र सरकार की नयी पहल ‘साथी केन्द्र’ को बिहार में स्थापित किया गया है. इसके स्थापित होने से विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर आधारित नावाचार को काफी बढ़ावा मिलेगा. इस केन्द्र की शुरूआत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्य कर रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा की गई है. इस पहल से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र का विस्तार होगा. साथ ही तमाम चुनौतियों से अगवत हुआ जा सकेगा. इसके अलावा उससे निपटने की दिशा में बल मिलेगा. साथी केन्द्र से उद्योग, स्टार्टअप, सूक्ष्म-लघु एवं मध्यम को भी काफी मदद मिलेगी. प्रत्येक साथी केन्द्रों को 125 करोड़ रुपये की निवेश से स्थापित किया जाएगा.
आईआईटी पटना को बनाया गया नोडल केन्द्र
जानकारी के मुताबिक, आईआईटी पटना को इसका नोडल केन्द्र बनाया गया है. इन केन्द्रों के माध्यम से आधुनिक एवं महंगे उपकरणों की उपलब्धता के साथ-साथ उनके रखरखाव, संसाधनों के समुचित प्रयोग और इन सब से जुड़ी तमाम समस्याओं का हल किया जा सकेगा. इन केन्द्रों को बिहार के आईआईटी के साथ पटना विश्वविद्यालय, आर्यभट ज्ञान विश्वविद्यालय, दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, गया और महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी से जोड़ा गया है. इन केन्द्रों में रिसर्च और इन्फ्रास्ट्रेक्चर का क्रिएशन आईआईटी करेगी.
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परंपरागत विश्वविद्यालय रिसर्च और पेमेंट हासिल करने में पीछे
गौरतलब है कि रिसर्च के मामले में टेक्निकल संस्थान सबसे आगे है. परंपरागत विश्वविद्यालय रिसर्च और पेमेंट हासिल करने में काफी पीछे है. पिछले पांच सालों में आआई ने 35 पेमेंट हासिल किया है. जबकि, आर्यभट्ट विश्वविद्यालय ने एक पेमेंट हासिल किया है. इसके साथ ही अन्य संस्थान भी काफी पीछे है. जर्नल के प्रकाशन में भी आईआईटी ही सबसे आगे है. रिसर्च के मामले में भी आईआईटी आगे है.
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