श्रवण कुमार,गोपालगंज. सदर प्रखंड के हीरापाकड़ बांध के समीप नदी के निचले इलाकों सैकड़ों एकड़ में लगी तरबूज की फसल बर्बाद होने के कारण किसानों की कमर टूट गयी है. किसान का परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है. कर्ज लेकर खेती करने वाले किसानों पर तो सामत आ गयी है.
महाजनों व बैंक का कर्ज रात की नींद छीन लिया है. दो वर्षों से लॉकडाउन का मार रहे किसानों को फिर इसबार घाटे को झेल रहे किसानों को इस वर्ष के फसल से उम्मीद थी. लेकिन जनवरी में हुई बारिश के साथ पड़े ओलावृष्टि के प्रभाव से अब गलने लगी है.
ओलावृष्टि ने फसल के जड़ों को क्षतिग्रस्त कर दिया. कुछ फसल तो दूसरे दिन से ही गलने लगे. किसानों को बाकि फसलों को फिर से सही हो जाने की उम्मीद थी. लेकिन तीन सप्ताह बाद तक फसलों में जान नहीं आ सकी. जिससे किसान अब नाउम्मीद होने लगे हैं.
किसान जगत नारायण यादव बताते हैं. इस समय तक तरबूज के लते पूरे खेतों में फैल जाते थे. लेकिन अब तक फसल अपने ही जगह पर सिकुड़े हुये हैं. इसलिये समय से फसल हसेने की उम्मीद खत्म होने लगी है.
किसान बताते हैं कि बताते हैं कि 2020 और 2021 में फसल तो अच्छी हुई. लेकिन कोरोना संक्रमण को लेकर लगे लॉकडाउन कारण व्यापारी नहीं पहुंचे. जिससे बिक्री कम हो गई. एक रुपए प्रति किलो तरबूज बेचने पर भी व्यापारी नहीं मिल रहे थे. दोनों साल फसल की लागत तक नहीं उतर पायी. इस बार उम्मीद थी कि तरबूज की बिक्री अच्छी होगी और बिते दो सालों का भरपाया हो जायेगा. लेकिन बारिश के साथ पड़े ओलों ने सब बिगाड़ दिया.
किसान बिंदा यादव बताते है. कि ब्याज पर कर्ज लेकर तरबूज की खेती की. उम्मीद था कि इस बार के फसल से पिछले दो सालों का घटा भी बराबर हो जायेगा. लेकिन तरबूज की गलती फसल को देखकर अभी से ही कर्ज भरने का डर सता रहा है. विभाग को हम से क्या लेना वहां की योजनाएं तो कुछ गिने-चुने किसानों के लिए ही होती हैं. तरबूज की खेती करने वाले प्रहलाद सिंह, सुरेंद्र मुखिया, अच्छेलाल प्रसाद समेत दर्जनों किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.