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बिहार: मैथिली भाषा के साहित्यकार पंडित गोविंद झा का 102 साल की उम्र में निधन, साहित्य जगत में शोक की लहर

Bihar News: मैथिली साहित्य के वयोवृद्ध साहित्यकार पंडित गोविंद झा का निधन हुआ है. इनका निधन 102 साल की उम्र में हुआ है. इसके बाद साहित्य जगत में शोक की लहर है. उन्हें साहित्य अकादमी का मूल और अनुवाद का पुरस्कार 1993 में मिला था.

By Prabhat Khabar News Desk | October 19, 2023 11:46 AM
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Bihar News: मैथिली साहित्य के वयोवृद्ध साहित्यकार पंडित गोविंद झा का निधन हो गया. पारिवारिक सूत्रों के अनुसार उनकी उम्र करीब 102 वर्ष की थी. उन्हें साहित्य अकादमी का मूल और अनुवाद का पुरस्कार 1993 में प्राप्त हुआ. फादर कमिल बुल्के पुरस्कार 1988 में प्राप्त हुआ. 2008 में उन्हें प्रबोध साहित्य सम्मान , रांची से विश्वंभर सााहित्य सम्मान भी मिला. इन्हें चेतना समिति ने ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया था. राजभाषा विभाग में अनुवाद पदाधिकारी और मैथिली अकादमी में उप निदेशक पद से रिटायर हुए. अपनी साहित्यिक विधा की शुरूआत उन्होंने इंडियन नेशन से की थी. प्रसिद्ध रंगकर्मी डा अरविंद अक्कू समेत तीन पुत्र और एक पुत्री तथा भरा पुरा परिवार छोड़ गये हैं. मधुबनी जिले के इशहपुर ग्राम के निवासी पंडित गोविंद झा ने करीब 90 किताबें लिखी थी. इसके अलावा उन्होंने कई अन्य किताबों का संपादन किया था. उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को पटना में किया जायेगा. पंडित गोविंद झा के निधन पर कई सामाजिक संस्थाओं ने शोक प्रकट किया है.

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मंत्री संजय झा ने निधन पर जताया शोक

बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भी इनके निधन पर दुख जताया है. उन्होंने दिवंगत पंडित गोविंद झा के निधन को मैथिली साहित्य को कभी नहीं पूरी की जाने वाली क्षति बताया है. साथ ही दुख प्रकट करते हुए कहा है कि श्रीहरि से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें. मंत्री ने शोकाकुल परिजनों को हिम्मत प्रदान करने की प्रथाना की है.

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‘मैथिली जगत को हुई अपूरणीय क्षति’

मंत्री ने लिखा है कि ‘ओह! मैथिली साहित्य के युग पुरुष को विनम्र श्रद्धांजलि. साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार पंडित गोविन्द झा जी के निधन से मैथिली जगत को अपूरणीय क्षति पहुंची है. मधुबनी जिले के ईसहपुर गांव में 10 अक्टूबर 1923 को जन्मे श्रद्धेय गोविंद झा जी ने पिछले दिनों अपने जीवन की शतकीय पारी पूरी की थी, लेकिन उनकी लेखनी अनवरत चल रही थी. मैथिली के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला, नेपाली सहित कई भाषाओं के विद्वान श्रद्धेय गोविंद झा जी ने 80 से अधिक किताबें लिखीं. कथा संग्रह ‘सामाक पौती’ के लिए 1993 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया. बिहार सरकार के राजभाषा विभाग से सेवानिवृत्त पंडित झा ने बसात, रूक्मिणीहरण, लोढ़ानाथ जैसे बहुचर्चित नाटकों की रचना कर मैथिली में एक नये अध्याय की शुरुआत की. आपने मैथिली शब्दकोश का निर्माण भी किया, जो कल्याणी कोष के नाम से ख्यात है. साहित्य जगत के ऐसे मनीषी का जाना अत्यंत दु:खद है. श्रीहरि से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके शोकाकुल परिजनों को संबल प्रदान करें. ॐ शांति.’

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