बिहार में शराबबंदी से जुड़े मामलों के ट्रायल में और तेजी आएगी. शराबबंदी कानून साल 2016 से लागू है जिसके तहत बिहार में शराब पाए जाने पर सजा का प्रावधान है. राज्य में शराब से जुड़े बड़ी संख्या में केस पैडिंग है, इसी मामले की सुनवाई और निपटान के लिए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 के अंतर्गत अनन्य विशेष उत्पाद न्यायालय में पीठासीन पदाधिकारी की नियुक्ति की गयी है. 35 जिलों में नई विशेष अदालतों का गठन किया गया है. जिसमें 55 अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश (ADJ) नियुक्त किए गए हैं. जानकारी के मुताबिक, अब तक कुल 2.08 लाख मामले बिहार के निचली अदालतों में लंबित हैं, वहीं हजारों की संख्या में जमानत याचिकाएं उच्च न्यायालय में लंबित हैं.
सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने पटना उच्च न्यायालय प्रशासन से प्रभावी परामर्श के बाद प्रशासनिक सूचना जारी की. शराबबंदी के केसों की सुनवाई के लिए वर्तमान समय में पटना को अधिकतम चार विशेष अदालतें प्रदान की गई हैं. इससे पहले एकमात्र पटना सिविल कोर्ट स्थित सदर अनुमंडल में एक ही विशेष अदालत हुआ करती थी.
पटना में एडीजे ओम सागर, ब्रिजेंद्र राय (पटना शहर), बलजिंदर पाल (बाढ़) और संतोषकुमार पाण्डेय विशेष उत्पाद न्यायालय के पीठासीन होंगे. इसके अवावा औरंगाबाद, बेगूसराय, भोजपुर, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, गया, कैमूर, कटिहार, मधेपुरा, मधुबनी, मुंगेर, नवादा रोहतास , सारण, सीवान और वैशाली में दो-दो विशेष अदालतें गठित की गई हैं.
प्रस्तुति: ऋषिका कुमारी