Bihar News: कामगारों न्यूनतम मजदूरी दिलाने की कवायद में बिहार सरकार, अप्रैल से बैंक खातों में मिलेगा वेतन
Bihar News: कोरोना के बाद बिहार के निबंधित कारखानों में काम करने वाले सभी कामगारों के लिए राहत भरी खबर है. अब इनको अप्रैल से वेतन बैंक खातों में भेजा जायेगा. कामगारों को न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने के लिए श्रम संसाधन विभाग ने यह निर्णय लिया है.
Bihar News: कोरोना के बाद बिहार के निबंधित कारखानों में काम करने वाले सभी कामगारों के लिए राहत भरी खबर है. अब इनको अप्रैल से वेतन बैंक खातों में भेजा जायेगा. कामगारों को न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने के लिए श्रम संसाधन विभाग ने यह निर्णय लिया है. सरकार के इस फैसले का लाभ सवा दो लाख कामगारों को मिलेगा. वहीं, इस निर्णय के साथ विभागीय अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे सभी ठेकेदारों से भी कामगारों के खातों का ब्योरा लें, जिन्होंने विभाग से लाइसेंस लिया है, ताकि उन सभी के खातों में भी मजदूरी का भुगतान हो सके. कामगारों को न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने से जुड़ी हर Latest News in Hindi से अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.
इसको लेकर विभागीय मंत्री के स्तर पर समीक्षा भी की गयी है और अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि वे इसे सुनिश्चित करें कि अप्रैल से निबंधित कारखानों के कामगारों के खातों में वेतन का भुगतान हो. श्रम संसाधन मंत्री जिवेश कुमार ने कहा कि अप्रैल से निबंधित कारखानों के कामगारों के खातों में वेतन भेजा जाये. इसको लेकर विभागीय स्तर पर तैयारी पूरी कर ली गयी है. वहीं, कामगारों और मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दिलाने के लिए विभाग ने सभी अधिकारियों को सख्ती बरतने का निर्देश दिया हैं.
बच्चों व महिलाओं को होगी सहूलियत
विभागीय अधिकारियों ने कहा कि कारखानों में बच्चों से काम कराने की खबरें सामने आती रहती हैं. इसके अलावा सरकार की ओर से तय न्यूनतम मजदूरी दर भी कामगारों को नहीं मिलने की शिकायतें विभाग के समक्ष आती रहती हैं. वेतन भुगतान के एवज में महिला कामगारों के शोषण की शिकायत भी यदा-कदा सामने आती है. इस पर रोक लगाने के लिए विभाग ने सख्ती बरतने का निर्णय लिया है. इसी कड़ी में तय किया गया है कि कामगारों को बैंक खातों से ही वेतन मिले. इस नियम का कड़ाई से पालन होगा.
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होगा यह लाभ
इस निर्णय के बाद अब यह आसानी से पता चल सकेगा कि कामगार की उम्र क्या है, क्योंकि वयस्क नहीं होने की सूरत में उनका बैंक खाता नहीं खुलेगा. बैंक से वेतन मिलने पर यह भी आसानी से पता चल सकेगा कि कामगारों को दिये जा रहे पैसे न्यूनतम मजदूरी से कम हैं या नहीं. सरकार में मजदूर से लेकर पर्यवेक्षक तक के लिए राशि तय कर रखी है. बैंक से सीधे वेतन मिलने से महिला हो या कोई और श्रमिक, उनका शोषण नहीं होगा. काम के अनुसार संबंधित फैक्टरी संचालक उनको वेतन देने के लिए बाध्य होंगे.
नियुक्तियां करने की भी है योजना
कारखानों में काम करने वाले कामगारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभाग कुछ नियुक्तियां भी करेगा. प्रस्ताव के अनुसार सुरक्षा पदाधिकारी, फैक्टरी मेडिकल ऑफिसर और श्रम कल्याण पदाधिकारी की बहाली की जायेगी.
निवेशकों को भी दी गयी हैं रियायतें
कोरोना काल मे बिहार सरकार ने निवेशकों को कई रियायतें दी हैं. मजदूरों के काम की अवधि आठ घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे किये गये हैं. 50 से कम मजदूर से काम कराने पर ठेकेदारों को लाइसेंस लेने से मुक्ति दी गयी है. पावर से कारखाना चलाने पर 10 के बदले 20 कर्मचारियों के होने पर, तो बिना पावर वाले कारखाने में 20 के बदले 40 कर्मी होने पर ही लाइसेंस लेना होगा. 100 के बदले जिस फैक्टरी में 300 से कम कर्मचारी होंगे, उसे बंद करने में रियायत दी गयी है. इसके अलावा 1000 दिनों की विशेष छूट की योजना पर भी काम जारी है.
एक नजर में
8274 हैं बिहार में निबंधित कारखाना
2.20 लाख लोग करते हैं इसमें काम
Posted by; utpal kant