शिक्षा मंत्री (Bihar Education Minister) विजय कुमार चौधरी (Vijay Kumar Choudhary) ने कहा कि बिहार के सभी प्रारंभिक स्कूलों (Bihar Primary School) में अब आंचलिक भाषा में पढ़ाई होगी. यानी बच्चों को उनकी स्थानीय भाषा मसलन भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका, वज्जिका समेत अन्य भाषाओं में शुरुआती शिक्षा दी जायेगी. यह व्यवस्था जल्द ही शुरू हो जायेगी. इसकी तैयारी कर ली गयी है.
उन्होंने कहा कि मौजूदा वर्ष महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की जन्मशती वर्ष है और चार मार्च को उनकी जयंती है. इस वजह से शिक्षा विभाग रेणु की जन्मशती और महात्मा गांधी के आदर्शों को आधार बनाते हुए स्कूली शिक्षा में यह बड़ी पहल की जा रही है. इन दोनों महापुरुषों का मानना था कि बच्चों को उनकी अपनी भाषा में शुरुआती शिक्षा देने से उन्हें ज्ञान अर्जन में काफी सहूलियत होती है.
विभागीय मंत्री विधानसभा में बुधवार को अपने विभाग का 38 हजार 35 करोड़ 92 लाख रुपये का बजट पेश किया, जो इस बार के राज्य बजट का 21.94% है. वर्ष 2021-22 का यह बजट वाद-विवाद के बाद ध्वनिमत से पारित हो गया. नेता-प्रतिपक्ष समेत अन्य सदस्यों ने बीच में टोका-टाकी की.
बजट पर वाद-विवाद के दौरान भाकपा माले के विधायक महबूब आलम ने कहा कि सरकार उर्दू की भी चिंता करें. इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि उर्दू राज्य की दूसरी राजकीय भाषा है. महबूब आलम इसे आंचलिक भाषा बनाने पर क्यों तुले हुए हैं, क्या उन्हें उर्दू से प्यार नहीं है. राजकीय भाषा से इसे हटाकर आंचलिक भाषा बनाना चाह रहे हैं.
शिक्षा मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे शिक्षकों को बेवजह परेशान नहीं करें. शिक्षकों का जो भी वाजिफ हक है, वे उन्हें अवश्य दें. किसी शिक्षक के काम को बिना किसी कारण के नहीं लटकाएं. उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद स्कूल समेत सभी शिक्षण संस्थानों को चरणबद्ध तरीके से खोलने की पहल शुरू कर दी गयी है. एक मार्च से सभी प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों को खोल दिया गया है. सभी शिक्षण संस्थानों में कोरोना गाइडलाइन का अनिवार्य रूप से पालन करने का निर्देश दिया गया है.
Posted By: Utpal kant