Bihar News मरीजों के इलाज के लिये सबसे जरूरी पैथोलॉजी टेस्ट है. इसी टेस्ट के आधार पर डॉक्टर मरीजों को दवा लिखते हैं, लेकिन जिलें में चल रहे पैथोलॉजी टेस्ट का कोई मानक नहीं है. विभिन्न प्रकार की जांच के दर में भी एकरूपता नहीं है. पैथोलॉजी सेंटर अपने हिसाब से दर निर्धारित कर मरीजों से मनमानी राशि वसूल रहे हैं. जिले में करीब 1500 पैथोलॉजी सेंटर है, जिसमें करीब 200 ही निबंधित हैं.
अधिकतर सेंटर क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत निबंधित नहीं है. शहर से लेकर गांव तक कई ऐसे पैथोलॉजी सेंटर हैं, जिसकी जांच लैब तकनीशियन ही करते हैं. यहां मानक के अनुसार एमडी पैथोलॉजिस्ट भी नहीं हैं. हालांकि रिपोर्ट पर एमडी डॉक्टर का हस्ताक्षर होता है. दर की बात करें तो इसका भी कोई मानक नहीं है. किसी पैथोलॉजी सेंटर में सीबीसी जांच का दर 200 है तो कहीं 399 रुपये भी लिया जा रहा है. हैरानी इस बात की है, इस पर विभागीय नियंत्रण नहीं है.
आठ साल से स्वास्थ्य विभाग नहीं कर रहा जांच
जिले में करीब आठ साल से स्वास्थ्य विभाग पैथोलॉजी सेंटरों की जांच नहीं कर रहा है. विभागीय उदासीनता के कारण इन वर्षों में पैथोलॉजी सेंटरों की संख्या काफी बढ़ी है. कई सेंटरों ने तो शहर के विभिन्न स्थानों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में कलेक्शन सेंटर खोल रखा है. यहां से ब्लड कलेक्शन के बाद उसकी जांच कहां और किस तरह की जाती है, मरीजों को इसकी जानकारी नहीं होती. ग्रामीण क्षेत्राें के कुछ क्लीनिकों में ही मरीजों का ब्लड सैंपल और यूरिन जांच का सैंपल ले लिया जाता है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसकी मॉनिटरिंग नहीं की जाती. जिले में चल रहे पैथोलॉजी सेंटर के निबंधन, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद का एनओसी और उपकरणों की जांच नहीं की जाती. जब स्वास्थ्य विभाग के पास कोई लिखित शिकायत लेकर पहुंचता है तो एक टीम गठित कर दी जाती है
दर तय करने का गाइडलाइन नहीं है
पैथोलॉजी सेंटर का दर तय करने का गाइडलाइन नहीं है. जिस तरह डॉक्टर अपनी फीस तय करते हैं, उसी तरह पैथोलॉजी सेंटर भी जांच का दर तय करते हैं. स्वास्थ्य विभाग जांच दर स्वीकृत नहीं करता है. अमानक रूप से जांच की शिकायत के बाद पैथोलॉजी सेंटर की जांच करने का प्रावधान है. इस तरह की शिकायत मिलेगी तो हम जांच करायेंंगे
– डॉ अजय कुमार, सिविल सर्जन