बिहार: सावन में सन बर्न वायरल से पीड़ित हो रहे लोग, अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या, जानें कारण
Bihar News: बिहार में वायरल कंजंक्टिवाइटिस ने एक तरफ लोगों को परेशान कर दिया है. वहीं, दूसरी ओर अब सन बर्न के वायरल से लोग पीड़ित हो रहे हैं. अस्पतालों में सन बर्न से पीड़ित होकर मरीज पहुंच रहे हैं. इसमें बच्चे, छात्र-छात्राएं और महिलाएं भी शामिल है.
Bihar News: बिहार में सावन के मौसम में सन बर्न के वायरल से लोग पीड़ित हो रहे हैं. एक तरफ जहां वायरल कंजंक्टिवाइटिस ने लोगों को परेशान कर दिया है. वहीं, दूसरी ओर सन बर्न ने भी लोगों की समस्या बढ़ा दी है. अस्पतालों में त्वचा के रोग से मरीज पीड़ित होकर पहुंच रहे हैं. लोगों की त्वचा में समस्या हो रही है. एक्जिमा, रिंगवार्म, फोड़े-फुंसी के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. जानकारी के अनुसार सावन के महीने में कम बारिश का होना और धूप की वजह से लोगों को यह परेशानी हो रही है.
अत्यधिक धूप के कारण लोगों में बढ़ी सन बर्न की परेशानी
अत्यधिक गर्मी और धूप के कारण लोगों में सन बर्न की समस्या बढ़ी है. बताया जाता है कि आम तौर पर यह समस्या मई और जून में होती है. लेकिन, इस बार जुलाई और अगस्त के महीने में धूप होने के कारण लोगों में अभी इस समस्या में इजाफा हो रहा है. बताया जाता है कि आईजीआईएमएस में दस प्रतिशत लोग चर्म रोग से पीड़ित हैं. वहीं, पीएमसीएच में रोजाना 350 से चार सौ मरीज त्वचा के रोग से पीड़ित हैं. इनमें 15 से बीस मरीज सन बर्न की समस्या से परेशान है. आईजीआईएमएस में 250 मरीज में से 25 से 30, एनएमसीएच में 300 में से 15 से 16 इस रोग से पीड़ित हैं.
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धूप, प्रदुषण और स्टेरायडयुक्त क्रीम के प्रयोग से समस्या में इजाफा
चिकित्सकों के अनुसार धूप, प्रदुषण के साथ ही स्टेरायडयुक्त क्रीम के प्रयोग से यह समस्या हो रही है. इस बीमारी में त्वचा के हिस्से पहले लाल हो जाते है. इसके बाद काले पड़ जाते है और पपड़ी जैसे हो जाते है. बच्चों में फोड़े -फुंसी की शिकायतें आ रही है. बच्चों के अलावा मजदूर, किसान, डिलीवरी ब्याय, कुरियक ब्याय, छात्र, छात्राएं और उच्च मध्यम वर्ग की महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित हो रही हैं. बच्चों में यह परेशानी फोड़े-फुंसी का रुप लेकर समर ब्याल का रुप ले रही है.
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धूप से बचने की करें कोशिश
लोगों को सन बर्न से बचने के लिए पूरी बाह का कपड़ा पहनना चाहिए. इसके अलावा छाता लेकर निकलना चाहिए और धूप में जाने पर चेहरे को ढक कर निकलें. घर से निकलने से पहले पानी जरुर पिएं. खाने में हरी सब्जी और साइट्रस युक्त फल का उपयोग करें. धूप से बचने की कोशिश इस समस्या से छूटकारा दिला सकती है.
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आंखों में लालपन वायरसजनित रोग के लक्षण
दूसरी ओर वायरल कंजंक्टिवाइटिस के मरीजों में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. चिकित्सकों के अनुसार आंखों में लालपन वायरसजनित रोग के लक्षण है और यह खतरनाक रुप भी ले सकता है. आखों का लाल हो जाना, आंसू आते रहना, आंखों में कीचड़ आना, चुभन और सूजन बीमारी के लक्षण है. वहीं, इस बीमारी से बचने के लिए मरीजों को अपनी आंखों में हाथ नहीं लगाना चाहिए और पीड़ित की उपयोग की गई चीजों को दूर रखना चाहिए. इसे अलग करके रखने से ही बचाव हो सकता है. बीमारी से उपचार के लिए चिकित्सक आई ड्राप देते हैं. इसे आंखों में डालना चाहिए. मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को विशेष सतर्कता बरतने के लिए कहा है. डॉक्टर्स बताते है कि मरीजों के आंख में हाथ मलने के बाद उसके इस्तेमाल की गई वस्तुओं को उपयोग करने से यह रोग तेजी से फैल रहा है. इसी कारण अस्पताल में तेजी से इससे पीड़ित होकर मरीज पहुंच रहे हैं.
वायरल कंजंक्टिवाइटिस से बचने के लिए आंखों को साफ रखें, साफ पानी से इसे धोएं. आंखों में धूल-मिट्टी आदि न जाने दें. आंख में खुजली हो तो हाथ से न रगड़ें. जो कॉन्टेक्ट लेंस का प्रयोग इस समय न करें. आंख में तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. संक्रमण होने पर बर्फ के पानी से सिंकाई करें. बताया जा रहा है कि आई फ्लू या वायरल कंजंक्टिवाइटिस के अधिकांश मरीजों की केस हिस्ट्री दिल्ली की निकली है. शहर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में कंजक्टिवाइटिस का संक्रमण की जटिलता बढ़ने से रोगियों को प्री सेप्टल सेल्युलाइटिस हो गया है. बताया जा रहा है कि दिल्ली में हुई बाढ़ के बाद मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. इधर आइजीआइएमएस के पूर्व नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ विद्याभूषण ने कहा कि आंख के सफेद हिस्से पर एक झिल्ली होती है. इसे कंजंक्टाइवा कहते हैं. आंखों की झिल्ली में एडीनो वायरस से संक्रमण हो रहा है.