पीके चिलम दिया लहराई हो…से छा गयीं कुढ़नी की इंदु, सीएम नीतीश कुमार को भी पसंद आ था गीत
गायिका इंदु देवी ने सीएम नीतीश कुमार के मुजफ्फरपुर में समाज सुधार अभियान के दौरान उनके समक्ष यह गीत प्रस्तुत किया था.
विनय, मुजफ्फरपुर. एक गंजेड़ी गाजा पीके चिलम दिया लहराई हो…, चिलम दिया लहराई, चिलम में से तितकी उड़ के हो… जर गइल तोसक रजाई, नसबा नरक में ले जाई, जनी पीअह हे भाई़ इस गीत से कुढ़नी के सकरी सरैया की लोक गायिका इंदु देवी देश में चर्चित हो गयी हैं.
सोशल मीडिया से लेकर यूट्यूब तक में इनके गीत खूब सुने जा रहे हैं. गायिका इंदु देवी ने सीएम नीतीश कुमार के मुजफ्फरपुर में समाज सुधार अभियान के दौरान उनके समक्ष यह गीत प्रस्तुत किया था.
इंदु पिछले डेढ़ वर्ष से जीविका से जुड़ी हैं. इससे पहले भी ये गायघाट में सीएम के कार्यक्रम में गीत प्रस्तुत कर चुकी हैं. लेकिन, जितनी प्रसिद्धि उन्हें इस गीत से मिली हैं, पहले कभी नहीं मिली.
इंदु देवी ने कभी गायन का प्रशिक्षण नहीं लिया. लेकिन, सुर की अच्छी समझ रखती हैं. वर्ष 2007 में बिहार सरकार के शिक्षा परियोजना से ये जुड़ी. इसके बाद से गीतों की प्रस्तुति के लिए सरकारी कार्यक्रम में इन्हें बुलाया जाने लगा.
इंदु की स्कूली शिक्षा नहीं हुई है. छह-सात वर्ष पूर्व गांव में साक्षरता अभियान के तहत हिंदी पढ़ना-लिखना सीखा. इंदु देवी निरंकारी सत्संग से भी जुड़ी हैं. वे वहां के कार्यक्रम में भजन गाती हैं. इंदू देवी खुद भी गीत लिखती हैं.
जब वह घर चलाने के लिए घर से निकलीं तो समाज के लोगों ने विरोध किया़ उस दौरान इंदु ने गीत लिखा-”महिला जब घर से निकले, पुरुष लोग शोषण करले, घर में लगाबे ला झगड़िया, खबरिया कहके”. इंदू देवी ने बताया कि चिलम वाला गीत करीब 30 साल पहले एक जगह सुना था, अच्छा लगा तो याद कर ली. अब वह गीत नशामुक्ति अभियान में गा रही हैं.
दूसरे के घर बर्तन साफ कर बच्चों को पढ़ाया
इंदु देवी के पति टेलर हैं. वह 2005 से बीमार हैं. घर चलाने के लिए इंदु देवी ने दूसरों के घरों में बर्तन साफ किया और खेतों में मजदूरी कर अपने तीन बच्चों को पढ़ाया. निरंकारी सत्संग के महात्मा दीपलाल के माध्यम से सरकार के कला जत्था से जुड़ने का मौका मिला.
इससे कुछ रुपये मिल जाते थे. लेकिन, घर चलाना मुश्किल था. इसके बाद माता के जागरण में भी जाने लगीं. इससे भी कुछ आमदनी होने लगी. एक बेटी की शादी हो गयी है. अब चार लोगों का परिवार है, जिसका भरण-पोषण वे खुद करती हैं.
इंदु देवी ने कहा कि पिता सुखदेव दास पटना में रहते थे. वे रिक्शा चलाते थे. वह दारू खूब पीते थे, जिससे वे बीमार रहने लगे और मृत्यु हो गयी. पिता की हालत देख वह नशे से नफरत करने लगीं.